नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के अनुसार, मार्च में यूपीआई लेन-देन में पेटीएम की हिस्सेदारी कम होकर 9 फीसदी पर पहुंच गई। फरवरी में कुल यूपीआई ट्रांजेक्शन में 11 फीसदी पेटीएम की हिस्सेदारी थी। जनवरी में यूपीआई ट्रांजेक्शंस में 11.8 फीसदी हिस्सेदारी थी। जनवरी में पेटीएम ने 1.4 बिलियन यूपीआई पेमेंट प्रोसेस की थी, जो घटकर फरवरी में 1.3 बिलियन पर आ गई। मार्च में और कम होकर पेटीएम ट्रांजेक्शन की संख्या 1.2 बिलियन बची। आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर इसी जनवरी के अंत में कार्रवाई की थी। मतलब आरबीआई की कार्रवाई के बाद यूपीआई ट्रांजेक्शन में पेटीएम का शेयर हर महीने तेजी से घट रहा है।
पेटीएम के नुकसान से उसकी प्रतिस्पर्धी कंपनियों को फायदा पहुंच रहा है। जनवरी के बाद से गूगलपे और फोनपे की यूपीआई लेन-देन में हिस्सेदारी बढ़ गई है। मार्च महीने में गूगलपे ने 6.3 फीसदी की बढ़तोतरी के साथ 5 बिलियन यूपीआई ट्रांजेक्शन किया। यह जनवरी में 4.4 बिलियन था। फरवरी महीने में 4.7 बिलियन था। फोनपे ने 5.2 फीसदी के इजाफे के साथ मार्च महीने में 6.5 बिलियन यूपीआई लेन-देन कर नंबर-एक बनी है। फोनपे ने फरवरी में 6 बिलियन और जनवरी में 5.7 बिलियन ट्रांजेक्शन किया था।
यूपीआई लेन-देन के मामले में पेटीएम का वर्चस्व था। साल 2018 से 2019 के दौरान कुल यूपीआई लेन-देन में अकेले पेटीएम की हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक थी। बाजार में धीरे-धीरे गूगलपे, फोनपे, मोबिक्विक समेत अन्य कंपनियां आईं और पेटीएम का शेयर घटता गया। अब आरबीआई की कार्रवाई के बाद पेटीएम की हिस्सेदारी तेजी से घटी है। कभी लेन-देन के मामले में पेटीएम पहले नंबर पर थी। अब फोनपे और गूगलपे की तुलना में इसकी हिस्सेदारी कई गुना कम है।
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