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महामारी ने स्वास्थ्य स्टार्टअप्स के लिए अप्रत्याशित उत्प्रेरक का काम किया

नई दिल्ली, 12 दिसम्बर (आईएएनएस)। कोरोना महामारी ने न केवल मानव स्वास्थ्य, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी कहर बरपाया है। हालांकि, भारत में स्वास्थ्य स्टार्टअप्स के लिए कोरोनावायरस में लगे लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौरान विकास के नए आयाम खुले। भारत में महामारी के दौर में लचर स्वास्थ्य सेवा की कमियां उजागर हुई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में खराब होते बुनियादी ढांचे, डॉक्टरों की कमी, नसिर्ंग स्टाफ और उपकरणों की भारी कमी और विशेष रूप से उपचार सुविधाओं की कमी नजर आई। स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और रोगियों की संख्या के बीच बढ़ते अंतर को कम करने के लिए स्वास्थ्य सेवा को जनता के लिए सुलभ और सस्ती बनाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया गया है। इसके अलावा, महामारी फैलने के दौरान दवाओं की ऑनलाइन डिलीवरी, दूरस्थ रोगी निगरानी, डिजिटल स्वास्थ्य और टेली-हेल्थ की स्वीकृति में बढ़ोतरी हुई। इसी के साथ स्वास्थ्य स्टार्टअप में मजबूती आई। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई)-प्रैक्सिस ग्लोबल अलायंस के अनुसार, 2020 में भारत का स्वास्थ्य उद्योग लगभग 1.9 अरब डॉलर या स्वास्थ्य सेवा उद्योग में 1 प्रतिशत से भी कम था। 5,000 से ज्यादा स्वास्थ्य स्टार्टअप्स के साथ इसके 2023 तक 5 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है । डोजी के सीईओ और सह-संस्थापक मुदित दंडवटे ने आईएएनएस को बताया, पहले कोई खास सुविधा न मिल पाने के कारण लोगों की अस्पतालों तक पहुंच बहुत कम थी। स्वास्थ्य के लिए लोगों को अपने क्षेत्रों में बहुत संघर्ष करना पड़ता था, जिसकी वजह से स्वास्थ्य ढांचा बहुत सारी बाधाओं का सामना कर रहा था। हालांकि पिछले दो सालों में चीजें काफी बदल गई हैं और बाजार को इसने 5-8 साल आगे बढ़ा दिया है। बेंगलुरु स्थित स्टार्टअप में एक कॉन्टैक्टलेस पेशेंट वाइटल मॉनिटर और अर्ली वानिर्ंग सिस्टम है, जो किसी भी बेड को कम लागत पर स्टेप-डाउन आईसीयू में बदल देता है। एमफाइन के सीईओ और सह-संस्थापक प्रसाद कोमपल्ली ने एआई-पावर्ड ऑन-डिमांड हेल्थकेयर समाधान जोड़ा है। उन्होंने कहा, बीते दो साल भारतीय स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहे हैं। कोरोना महामारी ने एक अप्रत्याशित उत्प्रेरक के रूप में काम किया, जिसने सरकार के साथ-साथ उपभोक्ताओं की भी मुश्किलों को आसान किया। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), ई-अस्पताल और ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा जैसी सरकार की स्वास्थ्य मिशन नीतियों ने भी स्वास्थ्य स्टार्टअप्स को बढ़ावा दिया। डॉक्टरों और अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए ऑनलाइन दवा वितरण, टेली-परामर्श और तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने वाले स्टार्टअप ने बीते दो सालों के दौरान मजबूती दिखाई। इनमें ई-फार्मेसी में फ्लिपकार्ट की सस्ता सुंदर, टाटा समूह की 1एमजी और रिलायंस रिटेल की नेटमेड्स, एआई-आधारित डायग्नोस्टिक तकनीक क्योर डॉट आई और निरामई, फिटनेस प्रदाता हेलदीफाईमी और क्योरफिट और टेलीमेडिसिन प्रदाता जैसे कि प्रैक्टो, लाइब्रेट और डॉक्सऐप अन्य शामिल हैं। मेडीबडी के सह-संस्थापक और सीईओ सतीश कन्नन ने आईएएनएस को बताया, कोरोना महामारी के प्रकोप ने भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली को एक नई उर्जा दी है। अभिनव स्वास्थ्य उपकरण प्रदान करने से लेकर प्रभावी रोगी देखभाल की सुविधा तक, देश में स्वास्थ्य तकनीक स्टार्टअप तेजी से विकसित हो रहे हैं। मेडीबडी इनपेशेंट, आउट पेशेंट, वेलनेस और फिटनेस जरूरतों के लिए एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म है। क्या भविष्य में महामारी के दौरान स्वास्थ्य स्टार्टअप्स द्वारा हासिल की गई वृद्धि को बनाए रखा जा सकता है? मेडिकल टेक्नोलॉजी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमटीएआई) के अध्यक्ष पवन चौधरी के अनुसार, स्टार्टअप्स को बाजार में अपने स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की स्वीकार्यता मिली है। उनकी स्थिरता और विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता को बनाए रखना है। इसके अलावा, कोमपल्ली ने कहा, एआई/मशीन लनिर्ंग द्वारा संचालित प्रौद्योगिकी-आधारित व्यवसाय मॉडल को अपनाने से उपभोक्ताओं को और भी तेज और बेहतर देखभाल वितरण में मदद मिलेगी और यह विकास की नई सीढ़ी तक पहुंचने में मदद करेगा। उद्योग के लोगों ने नोट किया कि रोगियों के लिए आउट पेशेंट देखभाल में सुधार करने और डॉक्टरों के लिए परामर्श समय को अनुकूलित करने के साथ-साथ ऑन-डिमांड पैथोलॉजी डायग्नोस्टिक्स और घरेलू स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी आगे बढ़ने का रास्ता हो सकता है। --आईएएनएस एसएस/आरजेएस

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