पुरानी संसद के आखिरी दिन अलग दिखा माहौल, पीएम ने नेहरू को किया याद, जानिए किसने क्या कहा?

देश की संसद की पुरानी बिल्डिंग में आज (सोमवार) को विशेष सत्र का पहला दिन चला। इसके बाद अब 19 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन से नए संसद भवन में सभी सांसद प्रवेश कर वहां से ही देश की कार्यवाही चलाएंगे।
पुरानी संसद के आखिरी दिन अलग दिखा माहौल, पीएम ने नेहरू को किया याद, जानिए किसने क्या कहा?

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देश की संसद की पुरानी बिल्डिंग में आज (सोमवार) को विशेष सत्र का पहला दिन चला। इसके बाद अब 19 सितंबर गणेश चतुर्थी के दिन से नए संसद भवन में सभी सांसद प्रवेश कर वहां से ही देश की कार्यवाही चलाएंगे। नए संसद भवन में मंगलवार से अब कार्यवाही चलेंगी। इस दौरान आज की कार्यवाही में कई रोचक नजारे देखने को मिले। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इशारों-इशारों में तकरार तो कभी इकरार भी दिखी। पीएम ने पूर्व पीएम को याद किया, जिसमें कांग्रेस पार्टी के नेताओं को भी याद किया। वहीं, विपक्ष के नेता भी भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को याद किया। लंबे समय के बाद ऐसा नजारा संसद में देखने को मिला। आइए जानते हैं पुरानी संसद भवन के आखिरी दिन सत्र में किस नेता ने क्या कहा ?

पुराना भवन आने वाली पीढ़ियों को देगा प्रेरणा: पीएम मोदी

विशेष सत्र के पहले दिन पीएम मोदी ने लोकसभा में अपने स्पीच में कहा कि देश की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने के लिए और नए सदन में जाने से पहले उन प्रेरक पलों को, इतिहास की महत्वपूर्ण घड़ी को याद करते हुए आगे बढ़ने का ये अवसर है। लोकसभा में प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सही है कि इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों का था लेकिन ये बात हम कभी नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में देशवासियों का परिश्रम, पसीना और पैसा लगा था। उन्होंने कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे लेकिन ये पुराना भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सदन से विदाई लेना बहुत ही भावुक पल है। हम जब इस सदन को छोड़कर जा रहे हैं तो हमारा मन बहुत सारी भावनाओं और अनेक यादों से भरा हुआ है। जब मैंने पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने इस सदन के द्वार पर अपना शीश झुकाकर, इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन किया था।

नेहरू इंदिरा और अटल को किया याद

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस संसद में पंडित जवाहर लाल नेहरू की ''आधी रात को'' की गई गूंज हमें प्रेरित करती रहेगी और यह वही संसद है, जहां अटल जी ने कहा था ''सरकारें आएंगी, जाएंगी; पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी; मगर ये देश रहना'' चाहिए। इस देश में दो प्रधानमंत्री ऐसे रहे (मोरारजी देसाई और वीपी सिंह) जिन्होंने कांग्रेस में अपना जीवन खपाया और एंटी कांग्रेस सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। ये भी इसकी विशेषता थी। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था।

भारत का विश्व सम्मान बढ़ा : धनखड़

राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने जी-20 के सफल आयोजन के लिए देशवासियों को बधाई देते हुए आज कहा कि इससे भारत का विश्व में सम्मान बढ़ा है। इस शिखर सम्मेलन के परिणाम परिवर्तनकारी हैं और आने वाले दशकों में वैश्विक व्यवस्था को नया आकार देने में योगदान देंगे। धनखड़ ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली के राजघाट पर विश्व नेताओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। यह एक अद्भुत दृश्य था। दुनिया के नेता शांति और अहिंसा के सार्वभौमिक आदर्शों का समर्थन करने वहां पहुंचे थे। धनखड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 समिट के दौरान अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में सुधारों को लेकर आवाज उठाई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को बदलते समय के अनुरूप ढालने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, डिजिटल बुनियादी ढांचे की स्थापना और हरित विकास समझौते को बढ़ावा देने की बात की।

आजाद भारत के बड़े फैसलों की गवाह रही है संसद : खड़गे

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारी संसद विगत 75 वर्षों में जो देश में बड़े फैसले हुए हैं, उसकी गवाह रही है। खड़गे ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा में ''75 वर्ष की संसदीय यात्रा'' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी संसदीय व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बाबा साहेब, पंडित नेहरू और सरदार पटेल सहित अन्य महापुरुषों ने अहम् भूमिका निभाई है। हमें उनके योगदान को हमेशा याद रखना होगा। इन महापुरुषों ने हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत किया है। खड़गे ने अपने शुरुआती संबोधन में सभापति से अनुरोध किया कि आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा को सदन में वापस बुला लें। खड़गे ने कहा कि आज हम अहम् विषय पर चर्चा कर रहे हैं, इसलिए उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका दें। खड़गे ने पंडित नेहरू की पहली कैबिनेट का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने बाबा साहेब और श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित पांच ऐसे लोगों को अपनी कैबिनेट में जगह दी, जो समान विचार के लोग नहीं थे। लेकिन आज के समय में सत्ता पक्ष विपक्ष को देखना तक नहीं चाहती है।

बढ़े संसद की गरिमा : पीयूष गोयल

लोकसभा में संसद के विशेष सत्र में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज इस संसद भवन में हमारा आखिरी दिन है, मुझे उम्मीद है कि हम अपनी संसदीय चर्चाओं की गरिमा बढ़ाएं और एक एकीकृत संदेश दें।

सरकार से की मांग: राजीव शुक्ला

इधर, कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा कि "पुराने स्थान का अपना महत्व है। यही वह स्थान हैं जहां से हमें आज़ादी मिली और जवाहर लाल नेहरू का एतिहासिक भाषण हुआ था... संविधान परिषद की बैठक भी यहां हुई थी... नई संसद बनी है, हम उसमें भी जाएंगे... इस (पुरानी) संसद का क्या उपयोग हो जो देश हित में अनवरत रहे और इसका लोकहित में कुछ न कुछ उपयोग होना चाहिए। यह बस इमारत नहीं रह जानी चाहिए। सरकार से मांग है कि इस संसद का संसदीय कार्य के लिए कितना उपयोग हो, वह भी देखा जाए।"

सुप्रिया सुले ने सुषमा स्वराज और अरुण जेटली को किया याद

वहीं, एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि मैं आज प्रधानमंत्री के भाषण की सराहना करती हूं जहां उन्होंने सराहना की कि शासन निरंतरता है। इस देश के निर्माण में पिछले 7 दशकों में विभिन्न लोगों ने योगदान दिया है, जिसे हम सभी समान रूप से प्यार करते हैं। चाहे आप इसे इंडिया कहें या भारत, यह आपका अपना देश है। हम सभी यहीं पैदा हुए हैं, हम सभी यहां आकर धन्य हैं...मैं उन दो लोगों को रिकॉर्ड पर रखना चाहूंगी जिनका आज भाजपा ने उल्लेख नहीं किया है, जिनसे मैं अपने संसदीय कार्यों में अत्यधिक प्रभावित रही हूं, जो भाजपा से आते हैं। मुझे अब भी लगता है कि वे सबसे बड़े नेताओं में से एक थे और असाधारण सांसद थे जिनका हम आदर करते थे - सुषमा स्वराज और अरुण जेटली। वे लगातार सहकारी संघवाद की बात करते रहे।

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