शीरीन फातिमा ने संघर्ष से लड़कर हासिल किया सिंगिग में मुकाम, बनीं भारत की बाल्टी कम्युनिटी की पहली महिला सिंगर

शीरीन फातिमा के अनुसार उन्होंने बचपन से ही गुनगुना शुरू कर दिया है। हालांकि, इंडियन आर्मी के हौसले से जल्द ही उन्हें स्टेज पर लोगों के सामने अपनी परफार्म देने का मौका मिला।
शीरीन फातिमा ने संघर्ष से लड़कर हासिल किया सिंगिग में मुकाम, बनीं भारत की बाल्टी कम्युनिटी की पहली महिला सिंगर

नई दिल्ली (प्रतीक कुमार)। दुनिया के स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर से सटे लेह की वादियों की खूबसूरती की जितनी भी चर्चा की जाए वह कम है। वैसे ही वहां की एक दिलकश आवाज जो आजकल देश में छा रही है उनका नाम है शीरीन फातिमा। शीरीन भारत की पहली महिला बाल्टी कम्युनिटी सिंगर हैं। शीरीन के सफलता की बात की जाए तो इनके हिस्से में लोगों की बेपनाह मुहब्बत के साथ जम्मू सरकार का दिया हुआ स्टेट अवार्ड है जो उन्हें गाने के लिए मिला है। यह उन्हें साल 2019 में मिला था। शीरीन के सफलता के पीछे दर्द और संघर्ष से भरी एक कहानी है।

कैसे शुरू किया गाना

शीरीन फातिमा के अनुसार उन्होंने बचपन से ही गुनगुना शुरू कर दिया है। हालांकि, इंडियन आर्मी के हौसले से जल्द ही उन्हें स्टेज पर लोगों के सामने अपनी परफार्म देने का मौका मिला। शीरीन इंडियन आर्मी स्कूल में 13 साल की उम्र से ही गाना शुरू कर दिया था। यहां के आर्मी गुडविल स्कूल में सभी उनके गाने को काफी पसंद करने लगे। यहीं से साथियों के प्यार और शिक्षकों के मार्गदशन में उन्हें अपनी सिंगर बनने की मंजिल दिखाई देने लगी।

भारत की पहली बाल्टी कम्युनिटी सिंगर हैं

गिलगिट बाल्टिस्तान से कुछ लोग भारत के लेह में जो आकर बसे थे। यहां के पांच गांव की आबादी मुश्किल से 8000 से 9000 लोगों की होगी। इन्हीं में से शीरीन निकलकर भारत ही नहीं पूरे दुनिया में छाने को तैयार हैं। बाल्टी कम्युनिटी से यह पहली महिला हैं जो गाने की दुनिया में कदम रखा और सिंगर बन कर एक मुकाम हासिल कर रही हैं। इसलिए यह भारत की बाल्टी कम्युनिटी की पहली महिला सिंगर के तौर पर लोग जानते हैं।

कैसा रहा आपका संघर्ष का दौर

शीरीन उन दिनों के संघर्ष को याद करते हुए बताती हैं कि धार्मिक कट्टरपंथी के कारण इस कम्युनिटी में सिंगर नहीं बनते थे। हालांकि ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हैं कि उस संघर्ष के दौर से बाहर निकल कर आवाज से लोगों के दिल में अपना घर बना रही हूं यह खुशी की बात है। संघर्ष के दौर में करीब 15 साल तक देहरादून में जिंदगी बितानी पड़ी वहां पर भी गाने का सिलसिला चलता रहा। इस मुश्किल भरे दौर में परिवार का सपोर्ट ही था जो उन्हें आगे बढ़ने पर मजबूर कर दिया।

शादी के बाद कितनी बदली जिंदगी

फातिमा कहती हैं कि शादी के बाद की जाए तो यह दौर काफी अच्छा है। परिवार के लोग (ससुराल) गाने के लिए हमेशा प्रेरित करते हैं। हालांकि समाज में अभी भी वह महिला होने का दंश झेलना पड़ता है। कुछ लोग आज भी यही कहते हैं कि गाना बंद कर देना चाहिए, लेकिन गाने का सिलसिला जारी है।

गाने के लिए सरकार कर चुकी हैं सम्मानित

भारत में कई जगह परफार्म कर चुकी शीरीन बताती हैं कि वह लद्दाख, जम्मू , नागपुर सहित देश की राजधानी दिल्ली में अपनी आवाज का जादू बिखेर चुकी हैं। सरकार ने उन्हें 2019 के लिए स्टेट आवार्ड से सम्मानित भी किया है। वहीं विदेश से भी उन्हें बुलाया जा रहा है लेकिन वहां पर जाने में दिक्कत उन्हें वीजा के कारण हो रही है जो जल्द ही खत्म हो जाएगी।

सोशल मीडिया में हैं काफी फालोअर्स

आज के दौर में सोशल मीडिया में उनके चाहने वालों की काफी संख्या है। लोग उन्हें गाते हुए देखना चाहते हैं। गाने के सिलसिले में फैन्स हर जगह उनसे यही कहते हैं आपकी आवाज में साक्षात मां सरस्वती विजारमान हैं। वह कहती हैं कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से जब उनका मिलना हुआ था तब उन्होंने भी गाने की तारीफ की थी।

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