MP Election: MP में पार्टियों पर चंदे की बरसात, 9,208.23 करोड़ मिला गुप्त चंदा, जानें Congress या BJP कौन आगे

Madhya Pradesh Election 2023: इलेक्टोरल बांड या चुनावी बांड योजना की वैधता से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा। मामला 8 साल से कोर्ट में लंबित है।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। इलेक्टोरल बांड या चुनावी बांड योजना की वैधता से जुड़े मामले की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा। मामला 8 साल से कोर्ट में लंबित है। चंदा देने वाले की पहचान गुप्त रखने को लेकर याचिकाओं में सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं ने चिंता जाहिर की है कि इस तरह कालेधन को बढ़ावा मिल सकता है। यह भी आरोप लगाया कि इसे बड़े कारोबारियों को उनकी पहचान बताए बिना पैसे दान करने में मदद करने के लिए बनाया गया था। 1 नवंबर को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पांच सदस्य बेंच ने सुनवाई की थी। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि ऐसा क्यों है कि जो पार्टी सत्ता में है, उसे ज्यादा चंदा मिलता है? इस पर सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चंदा देने वाला हमेशा किसी पार्टी की मौजूदा हैसियत से चंदा देता है।

बीजेपी को मिले 57 फीसदी इलेक्टोरल बांड

चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पांच वर्षों में इलेक्टोरल बांड के माध्यम से राजनीतक दलों को 10 हजार करोड़ रुपए का फंड दिया गया। इसमें से आधे से अधिक राशि इलेक्टोरल बांड के माध्यम से भाजपा (BJP) को मिली है। कांग्रेस को सिर्फ 952.29 करोड़ रुपए मिले हैं। आंकड़ा 2017-2018 और 2021-2022 तक का है। द इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-2018 और 2021-2022 के दौरान एसबीआई के कुल 9,208.23 करोड़ की कीमत के इलेक्टोरल बांड बिके हैं। बीजेपी को इलेक्टोरल बांड के जरिए 5,271.97 करोड़ रुपए की फंडिंग हुई है। कांग्रेस को 952.9 करोड़ चंदा मिला है।

स्थानीय पार्टियों को भी अच्छी फंडिंग

टीएमसी, बीजेडी और डीएमके जैसे राजनीतिक दल, जो लंबे समय से राज्यों की सत्ता में काबिज हैं। उन्हें चुनावी बांड के जरिए अच्छी-खासी राशि मिली है। ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) को 767.88, ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल (BJD) को 622 करोड़ और तमिनलाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की द्रविड मुनेत्र काषगम (DMK) को 431.50 करोड़ रुपए मिले हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को 48.83 करोड़ मिले हैं। नीतीश कुमार की जदयू (JDU) को 24.40 करोड़ रुपए इलेक्टोरल बांड से मिले हैं। शरद पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) को 51.5 करोड़ रुपए मिले हैं।

इलेक्टोरल बांड योजना क्या है?

2018 में इलेक्टोरल बांड योजना को कानूनी रूप से लागू किया गया था। सरकार ने योजना को लागू करते वक्त तर्क दिया था कि इससे राजनीतिक दलों को होने वाली फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। इलेक्टोरल बांड पॉलिटिकल पार्टियों को फंड देने का वित्तीय जरिया है. हर साल जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में 10 दिनों की अवधि के लिए भारतीय स्टेट बैंक की चुनिंदा शाखाओं पर चुनावी बॉन्ड की बिक्री होती है। कोई भी नागरिक बॉन्ड खरीदकर अपनी मर्जी से किसी भी पार्टी को दे सकता है. हालांकि, उस नागरिक की पहचान को गुप्त रखा जाता है. बॉन्ड खरीदने के 15 दिन में इसका इस्तेमाल करना होता है। अलग-अलग कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड उपलब्ध हैं. उनकी कीमत 1000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, दस लाख रुपये और एक करोड़ रुपए है।

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