नई दिल्ली, रफ्तार न्यूज डेस्क। बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक के लिए दाखिल याचिका को पटना उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। अदालत के इस फैसले के साथ ही नीतीश सरकार अब राज्य में जातिगत जनगणना करवा सकेगी। पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। बता दें कि याचिकाकर्ता की तरफ से जातिगत जनगणना रोकने की अपील की गई थी, लेकिन अदालत ने मंगलवार को याचिका खारिज करते हुए नीतीश सरकार को बड़ी राहत दी है।
दायर की गई थीं पांच याचिकाएं
गौरतलब है कि जाति आधारित जनगणना रोकने के लिए पांच अलग-अलग याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, जिसपर न्यायालय ने कई दिनों तक सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की बेंच ने एक साथ पांच याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
क्या थी याचिकाकर्ताओं की दलील?
बता दें कि में इस मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने जातीगत जनगणना पर सवाल उठाते हुए इसे तत्काल रोकने की बात कही थी। याचिकाकर्ताओं ने कहाथा कि जनगणना करवाने का अधिकार केंद्र सरकार का है और यदि ऐसा बिहार सरकार करती है तो यह व्यक्ति की निजता के अधिकार का हनन होगा। इस पर बिहार सरकार ने भी अपना पक्ष रखा था।