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भिलाई नगर : अस्पताल ने राशि प्राप्त करने शव को बनाया बंधक, नगद राशि लेने के बाद शव किया सुपुर्द

भिलाई नगर, 26 जून (हि. स.)। हाईटेक अस्पताल द्वारा मेडिक्लेम के माध्यम से बिल का भुगतान होने के बावजूद अंतर की राशि प्राप्त करने के लिए कई घंटे तक शव को बंधक बनाकर रखे जाने का मामला प्रकाश में आया है। प्रबंधन के साथ लगातार बहस होने के बाद परिजनों को अंतत: नगद 45 हजार जमा करने के बाद ही शव को सुपुर्द किया गया। मृतक के भतीजे सत्येंद्र सिंह ने बताया कि उनके बड़े पिता सहदेव प्रसाद पटेल 68 वर्ष निवासी नेहरू नगर पूर्व को 6 जून ब्रेन हेमरेज हुआ था। गंभीर एवं बेहोशी की अवस्था में उन्हें इलाज के लिए हाईटेक अस्पताल में दाखिल कराया गया था । 15 दिनों तक अस्पताल प्रबंधन द्वारा वेंटिलेटर में रखकर किए गए इलाज के बावजूद उनके बड़े पिता की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ था। वह बेहोशी की हालत में ही थे। इस पर डॉक्टर ने परिजनों को बताया था कि वेंटिलेटर सपोर्ट पर ही उनकी सांसे चल रही है। वेंटिलेटर हटाते ही उनका निधन हो जाएगा, इस पर परिजन के द्वारा एक सप्ताह पूर्व ही घर ले जाने की बात कही गई। परंतु डॉक्टर ने कहा कि ब्रेन काम कर रहा है, इसलिए उम्मीद है कि वह ठीक हो सकते हैं। एक सप्ताह बीतने के बाद परिजनों द्वारा आपसी सलाह मशवरा करने के पश्चात 24 जून को अस्पताल प्रबंधन के समक्ष छुट्टी दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया। इस पर परिजनों के द्वारा 24 जून को ही दिल से संबंधित सारी प्रक्रिया पूर्ण कर 25 जून को मरीज की छुट्टी दिए जाने अस्पताल प्रबंधन से कहा था। जिस पर अस्पताल प्रबंधन सहमत हुआ। सत्येंद्र सिंह ने बताया कि संपूर्ण इलाज से संबंधित बिलों का भुगतान मेडिक्लेम पॉलिसी के माध्यम से ही अस्पताल को किया जाना था। इसलिए एक दिन पूर्व ही उनके द्वारा संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद 25 जून को ही उनके बड़े पिता को ले जाने के लिए सुबह पहुंचे थे। वेंटिलेटर हटाते ही उनकी मौत हो गई थी। परंतु प्रबंधन के द्वारा तत्काल नगद एक लाख का भुगतान करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया गया। अस्पताल प्रबंधन के द्वारा परिजनों को जानकारी दी गई कि चार लाख 80 हजार का बिल का भुगतान होना है। परंतु मेडिक्लेम कंपनी के द्वारा केवल तीन लाख 70 हजार का भुगतान किया गया है। अंतर की राशि एक लाख का भुगतान करने के बाद ही मरीज के शव को सुपुर्द किया जाएगा। इस पर सत्येंद्र सिंह ने प्रबंधन से चर्चा की जिस पर आनन-फानन में प्रबंधन के द्वारा जबरिया मरीज के परिजनों से लगभग 45 हजार का भुगतान प्राप्त करने के बाद ही दोपहर के बाद शव को सौंपा गया। इस संबंध में सत्येंद्र सिंह ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन के द्वारा अंतर की राशि प्राप्त करने के लिए घंटों उनके बड़े पिता का शव को घंटो रोक कर रखा गया। अस्पताल प्रबंधन का यह रवैया किसी भी मरीज के परिजनों के प्रति अमानवीय हैं। हिन्दुस्थान समाचार/अभय जवादे

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