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भिलाई नगर- पक्षी के सबसे बड़े प्रजाति यूरेशियन ईगल उल्लू को सुरक्षि‍त चिडियाघर में रखा गया

भिलाई नगर 27 अप्रैल (हि. स.) । वन विभाग के साथ नोवा नेचर ने रेस्क्यू ऑपरेशन कर जवाहर नगर भिलाई से कल उल्लू पक्षी के सबसे बड़ी प्रजाति यूरेशियन ईगल उल्लू को पकड़ा गया । शरारती तत्व द्वारा छत पर बैठे इस उल्लू को नुकसान हो जाने की संभावना थी। उल्लू को पकड़कर सुरक्षित भिलाई के मैत्री बाग स्थित जू में रखा गया है। वाइल्ड लाइफ एक्ट में उल्लू का शिकार करना प्रतिबंधित है। पकड़े जाने पर सजा का प्रावधान है। जवाहर नगर भिलाई में उल्लू पक्षी होने की सूचना प्राप्त होते ही वन मंडला अधिकारी धम्मशील गणवीर के मार्गदर्शन पर एक संयुक्त टीम तैयार कर मौके की जगह पर भेजा गया वन परीक्षेत्र अधिकारी दुर्ग श्रीमती सरोज अरोरा ने रेस्क्यू के लिए टीम गठित कर रवाना किया। रेस्क्यू के लिए सहायक परीक्षेत्र अधिकारी भिलाई 3 विक्रम ठाकुर, वनरक्षक सुपेला एन रामा राव , नोवा नेचर अजय कुमार, को मौके की जगह पर रेस्क्यू के लिए भेजा गया। जवाहर नगर भिलाई निवासी अनिल सहाय की पुत्री आभा सहाय ने उनके घर के पास उल्लू की होने की सूचना वन विभाग के रेंज अधिकारी श्रीमती सरोज अरोरा को दी। आभा सहाय ने बताया कुछ शरारती तत्वों द्वारा उल्लू को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में है। वन विभाग की टीम मौके में पहुंची। शरारती तत्व वहां से सभी भाग गए। लेकिन उल्लू घर के छत पर बैठा हुआ दिखा वयस्क अवस्था का यूरेशियन ईगल उल्लू की पहचान की गई। 3 दिनों तक लगातार कोशिश करने पर भी उल्लू का रेस्क्यू करने में परेशानी होने लगी जब भी उल्लू के पास जाते वह उड़ जाता था। दूसरों के छत में जाकर बैठ जाता कभी एक छत से दूसरों के छत 3 दिनों तक देखा गया। उल्लू को सुरक्षित और स्वस्थ अवस्था में मैत्री बाग जू भिलाई में छोड़ा गया । यूरेशियन ईगल-उल्लू ईगल-उल्लू की एक प्रजाति है । जो यूरेशिया के ज्यादातर हिस्सों में रहती है। इसे चील उल्लु और बुहु भी कहा जाता है कभी-कभी केवल ईगल-उल्लू के रूप में भी संबोधित किया जाता है। पंख और पूंछ वर्जित हैं। नारंगी आंखें, विचित्र पंख और ढंके हुए कान वाले यूरेशियन ईगल उल्लू यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाए जाते हैं। भारत के ज्यादातर हिस्सों में दिख जाते हैं ये उल्लू रात में सक्रिय रहता है। ये वर्ष 1900 के बाद इनकी संख्या गिर रही है। हिन्दुस्थान समाचार/अभय जवादे

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