पाली गांव के युवा कर रहे सामूहिक खेती
पौड़ी, 12 जून (हि.स.)। विकासखंड पाबौ के पाली गांव में युवाओं ने खेती कार्य के लिए पहल शुरू की है। लॉक डाउन के दौरान गांव लौटे युवाओं ने सामूहिक रूप से खेती करनी शुरू कर दी है। इन युवाओं का कहना है कि सामूहिक रूप से खेती करने पर मानव संसाधनों की कमी नहीं खलेगी। साथ ही बंजर पड़े खेतों को भी आबाद किया जा सकेगा। युवाओं की इस पहल को अन्य ग्रामीणों ने भी खूब सराहा है। बुजुर्ग ग्रामीण इन युवाओं को खेती के गुर भी सिखा रहे हैं। लॉक डाउन के चलते रोजगार समाप्त होने से गांव की ओर लौटे युवा प्रवासियों ने अब गांव में ही रह कर स्वरोजगार का मन बना रहे हैं। कुछ युवाओं ने पशुपालन तो कुछ ने खेती का काम भी शुरू का दिया है। शहरों से लौटे ये युवा अब नए तरीके से खेती करने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा ही एक उदाहरण विकासखंड पाबौ के पाली गांव के युवाओं ने पेश किया है। पाबौ के युवाओं ने सामूहिक रूप से खेती शुरू कर दी है। ये युवा एक साथ मिल कर खेती का कार्य कर रहे हैं। यहां तक की युवाओं ने खेतों में ही टेंट लगा कर डेरा डाला हुआ है। युवाओं का कहना है कि पहाड़ में खेती स्वरोजगार का सबसे किफायती विकल्प है। हमें नए तरीकों से खेती करनी होगी। वहीं बुजुर्ग पार्वती देवी का कहना है कि सुखद बात है कि उनके बच्चे गांवों की ओर लौटे हैं। पार्वती बताती हैं कि सूना पड़ा गांव फिर रंगत में लौट आया है। बुजुर्ग ग्रामीणों ने भी इन युवाओं को खेती के गुर सिखाने शुरू कर दिए हैं। प्रशासन की बेरुखी से खफा हैं युवा: खेती का कार्य शुरू करने वाली प्रवासी ममता बिष्ट, मनीषा भंडारी व युवा अनूप सिंह भंडारी बताते हैं कि उनके गांव में पहले प्याज व आलू की अच्छी पैदावार होती थी। आलू व प्याज की पैदावार पूरे साल भर चलती थी। लेकिन धीरे- धीरे जंगली जानवरों ने इन फसलों को नुकसान पहुंचाना शुरू किया। अब स्थिति यह है कि जंगली जानवर फसलों को पूरी तरह बरबाद कर रहे हैं। जंगली जानवरों का यह आंतक पलायन का मुख्य कारण है। यदि प्रशासन हमारी फसलों को बचाने मे हमारा सहयोग करे तो हम गांव छोड़ कर क्यों जाएंगे। युवा कुलभूषण गुसाई कहते हैं कि प्रशासन सहयोग करे तो हम बंजर पड़े खेतों को भी आबाद करेंगे। हिन्दुस्थान समाचार/राज/मुकुंद-hindusthansamachar.in