जिला अस्पताल में भर्ती हैं 6 कोरोना पॉजिटिव, डर रहे हैं अन्य बीमारियों के मरीज
गुना 12 जून (हि.स.)। जैसे-जैसे लॉक डाउन की बंदिशों में रियायतें मिलती जा रही हैं, कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या भी बढ़ती चली जा रही है। इस समय जिला अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 6 तक पहुंच चुकी है। यह संख्या दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है। जिसका असर अस्पताल में आने वाले अन्य बीमारी के मरीजों पर भी पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के डर से हृदयरोगी, शुगर, हाइपरटेंशन, टीबी सहित अन्य बीमारी से ग्रसित रोगी जिला अस्पताल आने से बच रहे हैं। इसके बजाय यह रोगी जिले से बाहर अन्य शहरों में जाकर निजी अस्पतालों में इलाज कराने को मजबूर हैं। यहां मरीजों का न सिर्फ आर्थिक शोषण हो रहा है बल्कि वे कोरोना संक्रमण का शिकार भी हो रहे हैं। जिसके कई उदाहरण हाल ही सामने भी आ चुके हैं। ताजा उदाहरण शहर के चौधरी मोहल्ले में रहने वाले साहू परिवार का सामने आया है। किडनी से पीडि़त पिता का इलाज कराने पुत्र उन्हें भोपाल के एम्स अस्पताल में ले गया। यहां जब उनकी जांच की गई तो वे कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके बाद पुत्र भी जांच रिपोर्ट में कोरोना पॉजिटिव निकला। यह जानकारी 8 जून को जिला प्रशासन व स्वास्थ्य महकमे को लगी तब जाकर वह हरकत में आया और दोनों लोगों की कॉटेक्ट हिस्ट्री पता करने में जुट गया। सामने आया कि 22 मई को यह दोनों ऊमरी गांव में तेरहवीं के कार्यक्रम में गए थे। इसके अलावा शहर के कर्नलगंज में भी गए थे। जिसके आधार पर कई परिवार को एकांतवास में रखना करना पड़ा। यही नहीं सीधे संपर्क में आने वाले रिश्तेदार, पड़ौसी सहित अन्य संपर्क में आने वाले करीब 60 लोगों के सैंपल लेने पड़े। इसी तरह एक और मामले में गुना निवासी महिला दिल्ली में कोरोना संक्रमित पाई गई है, जो 15 दिन पहले कैंसर का इलाज कराने गुना से दिल्ली चली गईं थी। यह दो मामले इसलिए प्रकाश में आ गए क्योंकि यह मरीज कोरोना पॉजिटिव निकल आए। इसी तरह बड़ी संख्या में गुना के मरीज इलाज कराने भोपाल, दिल्ली, ग्वालियर, इंदौर सहित अन्य बड़े शहरों में जा रहे हैं, जो इस समय रेड जोन में हैं, जहां गंभीर बीमारी से पीडि़त मरीजों को सबसे ज्यादा खतरा है लेकिन स्थानीय स्तर पर सही इलाज न मिलने के कारण इन लोगों को विभिन्न परेशानियों को सामना कर जाना पड़ रहा है। जिसका खामियाजा परिवार के अन्य सदस्यों व रिश्तेदारों को भी भुगतना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण का डर आमजन में कितना घर कर चुका है, इसे जिला अस्पताल की ओपीडी की संख्या को देखकर समझा जा सकता है। जिला अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना से पहले अस्पताल की प्रतिदिन की ओपीडी 1500 से अधिक थी। जो बीते तीन माह से कोरोना संक्रमण काल के दौरान घटकर 400 से 500 के बीच रह गई है। इसमें भी सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं व एक्सीडेंट केसों की है। - इस वजह से डर रहे अस्पताल आने में स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन में कहा गया है कि इस समय 10 साल से कम उम्र के बच्चे, 60 से अधिक उम्र वाले वृद्धजन, शुगर, हृदय रोगी, हाइपरटेंशन, टीबी से पीडि़त मरीजों के लिए कोरोना से ज्यादा खतरा है। क्योंकि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण संक्रमण का जल्द शिकार हो सकते हैं। यही कारण है कि मरीजों के साथ-साथ परिजनों में डर का माहौल है। - मरीज की परेशानी उनकी जुबानी मेरी मम्मी को हाथ पैरों में दर्द (बाय)की शिकायत है। कोरोना के डर से मैं सरकारी अस्पताल नहीं गया। डॉक्टर के घर पर गया तो उन्होंने पहले तो देखने से मना कर दिया लेकिन जब मैंने कुछ लोगों से डॉक्टर को फोन लगवाए तब जाकर वह देखने राजी तो हुए लेकिन मम्मी का उन्होंने गेट के बाहर ही देखकर दवा दे दी। राजू कुशवाह, परिजन - फैक्ट फाइल कोरोनो से पहले जिला अस्पताल की ओपीडी : 1500 से अधिक कोरोना के बाद जिला अस्पताल की ओपीडी : 400-500 तक 12 जून को जिला अस्पताल की ओपीडी : 375 हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक/केशव-hindusthansamachar.in