जब सोनिया गांधी को टक्कर देने कर्नाटक पहुंच गईं सुषमा स्वराज, जनता का दिल जीतने के लिए सीख ली थी कन्नड़ भाषा

Chunavi Kissa: आज इसी कड़ी में हम एक तेज तरार नेता सुषमा स्वराज का एक पुराना चुनावी किस्सा बताने जा रहे हैं।
Sushma Swaraj
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देश में चुनाव का माहौल है। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान प्रक्रिया 26 अप्रैल 2024 को पूरी हो चुकी है। वहीं देश में चुनावी किस्से खूब पसंद किये जा रहे हैं। आज इसी कड़ी में हम एक तेज तरार नेता सुषमा स्वराज का एक पुराना चुनावी किस्सा बताने जा रहे हैं।

उनका इस लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार का तरीका काफी प्रसिद्ध हुआ

वह भाजपा की वरिष्ठ नेता थी। उनका 6 अगस्त 2019 को निधन हो गया था। उनके भाषणों को देश की जनता खूब पसंद करती थी। जब वह अपना भाषण देना शुरू करती थी तो विपक्ष भी हैरान हो जाता था। उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी लोकसभा सीट के चुनाव में खूब सुर्खियां बटोरी थी। यह बात अलग है कि वह यह चुनाव सोनिया गांधी से हार गयी थी। लेकिन उनका इस लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार का तरीका काफी प्रसिद्ध हुआ। जिसे आज हम चुनावी किस्से के रूप में आप के सामने पेश कर रहे हैं।

यह किस्सा वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव का है

यह किस्सा वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव का है। भाजपा ने बेल्लारी लोकसभा सीट से सुषमा स्वराज को सोनिया गांधी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा था। सुषमा स्वराज ने वहां के मतदाताओं का दिल जीतने के लिए कन्नड़ भाषा सीखी। वह एक महीने के अंदर अच्छी तरह से कन्नड़ भाषा सीख गई। इसके बाद उन्होंने अपनी चुनावी रैली में स्थानीय लोगों को उनकी ही कन्नड़ भाषा में भाषण देने शुरू कर दिया था। उनके भाषण के स्थानीय लोग काफी कायल हुए थे। उन्होंने अपने भाषण से पूरे कर्नाटक का दिल जीत लिया था। यहां तक कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी भी उनकी एक रैली में शामिल हुए थे। वह सुषमा स्वराज के कन्नड़ भाषा में दिए भाषण से काफी खुश हुए और उन्होंने सुषमा स्वराज की खूब तारीफ की थी। यह बात अलग है कि उन्हें इस लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनके चुनाव प्रचार का तरीका आज चुनावी किस्से के रूप में सुनाया जा रहा है।

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