देश के पहले आम चुनाव से अब तक इतने निर्दलीय उम्मीदवार बने सांसद, क्यों उठती रही इनके चुनाव लड़ने पर रोक की मांग

Loksabha Election: इसी कारण केंद्र सरकार ने अभी तक विधि आयोग की सिफारिश पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
देश के पहले आम चुनाव से अब तक इतने निर्दलीय उम्मीदवार बने सांसद, क्यों उठती रही इनके चुनाव लड़ने पर रोक की मांग
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। देश में लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के चुनाव के लिए मतदान 19 अप्रैल 2024 को हो गए हैं। इसी बीच निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव को लेकर भी देश में समय समय पर सियासी दल सवाल उठाते रहे हैं। इसको लेकर विधि आयोग ने भी वर्ष 2015 में केंद्र सरकार से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 4 और 5 में संशोधन करने की सिफारिश की थी।

निर्दलीय उम्मीदवार डमी कैंडिडेट होते हैं या वह चुनाव को गंभीरता से नहीं लड़ते हैं

दरअसल विधि आयोग का कहना था कि देश में केवल पंजीकृत राजनीतिक दल के प्रत्याशियों को ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव लड़ने की इजाजत होनी चाहिए। विधि आयोग ने केंद्र सरकार को निर्दलीय चुनाव पर रोक लगाने की सिफारिश करते हुए कारण बताया था कि निर्दलीय उम्मीदवार डमी कैंडिडेट होते हैं या वह चुनाव को गंभीरता से नहीं लड़ते हैं।

इसी कारण सरकार ने अभी तक विधि आयोग की सिफारिश पर कोई निर्णय नहीं लिया

सियासी दलों द्वारा समय समय पर निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव में रोक लगाने की आवाज के उठने का कारण, सीट बंटवारे में अपनी पसंद की सीट राजनीतिक दल से न मिल पाने के कारण पार्टी के नेता द्वारा निर्दलीय चुनाव लड़ना भी हो सकता है। या किसी मुद्दे पर पार्टी के नेता की नाराजगी के कारण निर्दलीय चुनाव लड़ना और पार्टी के मतों में सेंध लगाना हो सकता है। लेकिन इन कारणों से निर्दलीय चुनाव पर रोक लगाना ठीक नहीं है। कई ऐसे भी नेता होते हैं, जिन्हे किसी राजनीतिक दल से टिकट नहीं मिल पाता है। लेकिन उनके अंदर देश सेवा की सच्ची भावना होती है। ऐसे में उनके पास निर्दलीय चुनाव लड़ने का हथियार होता है। इसी कारण केंद्र सरकार ने अभी तक विधि आयोग की सिफारिश पर कोई निर्णय नहीं लिया है।

निर्दलीय उम्मीदवार देश के पहले आम चुनाव से लड़ते आ रहे हैं

निर्दलीय उम्मीदवार देश के पहले आम चुनाव से लड़ते आ रहे हैं। वर्ष 1951-52 के लोकसभा चुनाव में 37 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बने थे। वर्ष 1957 के आम चुनाव में 42 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बने थे। लोकसभा चुनावों में देश के दूसरे आम चुनावों में सबसे ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत के आकड़ों में गिरावट आना शुरू हुई थी।

वर्ष 1962 से 2009 तक निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत के रिकॉर्ड

अगर 1962 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो 20 निर्दलीय उमीदवारों ने जीत दर्ज की, वर्ष 1971 के लोकसभा चुनाव में 14 निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1977 और 1980 के आम चुनाव में 9-9 निर्दलीय उम्मीदवार सांसद बने थे। वर्ष 1984 के आम चुनाव में 13 निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। वहीं वर्ष 1989 में 12 निर्दलीय उम्मीदवार सांसद बन पाए। वर्ष 1991 में निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत में काफी गिरावट आयी और 1 ही निर्दलीय उम्मीदवार सांसद बना। वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में 9 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। वहीं वर्ष 1998 के चुनाव में 6 और वर्ष 1999 के चुनाव में भी 6 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में 5 निर्दलीय उम्मीदवार जीते। वर्ष 2009 के आम चुनाव में 9 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।

वर्ष 2014, 2019 के आम चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत में गिरावट आयी

वर्ष 2014 और वर्ष 2019 के आम चुनावों में मोदी लहर के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत में गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2014 के आम चुनावों में 3 निर्दलीय उम्मीदवार सांसद बने और वर्ष 2019 के आम चुनाव में 4 निर्दलीय उम्मीदवार सांसद बने।

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