नई दिल्ली, रफ़्तार डेस्क। देश में अनुसूचित जाति के लोगों के साथ भेदभाव पुराने समय से होता रहा। जो कि बहुत ही गलत और दंडनीय है। सभी लोग बराबर हैं। जिसके लिए हमारे संविधान में हर मनुष्य को समान अधिकार दिए हुए हैं। किसी के साथ किसी भी तरह का भेदभाव करना कानूनी अपराध है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अनुसूचित जाति के लोगों के साथ भेदभाव के मुद्दे को उठाकर, मोदी सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि आज के समय में भी अनुसूचित जाति के लोगों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
मोदी सरकार का उदहारण देते हुए अपनी बात की पुष्टि की
मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार का उदहारण देते हुए अपनी बात की पुष्टि की। खड़गे ने मोदी सरकार पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपमानित करने का बड़ा आरोप लगाया है। खड़गे का कहना है कि ये लोग एससी और एसटी समाज से आते हैं। इसलिए मोदी सरकार ने अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम और नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया। खड़गे ने कहा कि इसी कारण से मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को नए संसद भवन की आधारशिला रखने की मंजूरी नहीं दी।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में न जाने का कारण बताया
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में न जाने का कारण बताते हुए कहा कि उनके समाज के लोगों को आज के समय में भी मंदिरों में जाने के लिएअनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि आप राम मंदिर की बात को छोड़िये, गांव में छोटे छोटे मंदिरों में जाने तक कि अनुमति उनके समाज के लोगों को नहीं है। यहां तक कि पीने का पानी नहीं देते। अगर कोई दूल्हा घोड़े पर बारात लेकर जाता है तो उसको उतारकर पीटने लगते हैं। खड़गे का कहना है की ऐसे में वे मुझसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं। अगर वह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में जाते तो क्या वो उनको बर्दास्त करते।
आप धर्म को राजनीति से नहीं मिला सकते हैं
खड़गे ने एक इंटरव्यू में उनसे पूछे गए सवाल (कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में खड़गे को शामिल होना चाहिए था) का जवाब देते हुए कहा कि यह तो व्यक्तिगत आस्था है। कोई कभी भी और किसी भी दिन राम मंदिर जा सकता है। उन्होंने मोदी के लिए सवाल उठाते हुए कहा कि मोदी पुजारी नहीं हैं। मोदी का राम मूर्ति की स्थापना का नेतृत्व करना सिर्फ राजनीतिक उद्देश्य है। आप धर्म को राजनीति से नहीं मिला सकते हैं।
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