शिमला, हि.स.। हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों में शिमला संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनाव में सोलन जिला के सांसदों का दबदबा रहा है। पिछले 14 लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा 10 बार सोलन जिला के सांसदों ने परचम लहराया। लगातार 6 बार सोलन जिला के कसौली के रहने वाले केडी सुल्तानपुरी सांसद बने।
शिमला लोकसभा सीट पर BJP-कांग्रेस आमने-सामने
सोलन के ही वीरेंद्र कश्यप और धनीराम शांडिल दो-दो मर्तबा यहां से सांसद चुने गए। आगामी 1 जून को होने वाले लोकसभा चुनाव में स्वर्गीय केडी सुल्तानपुरी के बेटे बिनोद सुल्तानपुरी शिमला लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बिनोद सुल्तानपुरी वर्तमान में कसौली के विधायक हैं। यहां उनका मुकाबला भाजपा के सुरेश कश्यप से होगा। सिरमौर जिला के रहने वाले सुरेश कश्यप शिमला लोकसभा सीट से निवर्तमान सांसद हैं।
लोकसभा सीट वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई
शिमला संसदीय क्षेत्र में तीन जिलों शिमला, सोलन और सिरमौर की 17 विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनमें शिमला जिला की सात और सोलन व सिरमौर की पांच-पांच सीटें आती हैं। शिमला (आरक्षित) लोकसभा सीट वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई। इससे पहले यह महासू लोकसभा सीट थी। इस लोकसभा सीट पर अब तक हुए 14 चुनाव में 10 बार सोलन जिला से सांसद बने हैं। सबसे ज्यादा विधानसभा सीटों वाले शिमला जिला से मात्र एक बार सांसद बना और उनका कार्यकाल ढाई वर्ष रहा। सोलन जिला के तीन सांसदों ने 38 साल तक लोकसभा में शिमला संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।
कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी रहे सबसे लंबे सांसद
लोकसभा शिमला संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व सोलन जिला के कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी ने किया, जो कि 1980 से 1998 तक 6 बार सांसद रहे तथा 18 वर्ष तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। सोलन जिला से कर्नल धनीराम शांडिल दो बार सांसद रहे और 10 वर्ष तक का कार्यकाल रहा। वह वर्तमान सुक्खू सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
सिरमौर के तीन सांसद लोकसभा पहुंचे
सोलन जिला के वीरेंद्र कश्यप दो बार सांसद रहे, इनका कार्यकाल भी 10 वर्ष रहा। सिरमौर के तीन सांसद लोकसभा पहुंचे और इन्होंने करीब 18 वर्षों तक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। जबकि शिमला जिला को मात्र ढाई साल तक प्रतिनिधित्व का मौका मिला। शिमला जिला से एकमात्र सांसद बालक राम का कार्यकाल भी ढाई वर्ष रहा।
डेढ़ दशक से शिमला लोकसभा सीट पर भाजपा का कब्जा
कांग्रेस के वर्चस्व वाली शिमला लोकसभा सीट पर पिछले डेढ़ दशक से भाजपा का कब्जा है। वर्ष 2009 और 2014 में भाजपा के वीरेंद्र कश्यप यहां से लगातार दो बार सांसद चुने गए, जबकि 2019 में सुरेश कश्यप बीजेपी की टिकट पर पहली बार सांसद बने। कांग्रेस को आखिरी बार 2004 में इस सीट पर जीत मिली थी तब धनीराम शांडिल सांसद निर्वाचित हुए थे।
शिमला लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण
आरक्षित शिमला संसदीय क्षेत्र में अनुसूचित जाति व जनजाति का बोलबाला है। संसदीय क्षेत्र की कुल जनसंख्या का 26.51 फीसदी हिस्सा अनुसूचित जाति से संबंधित है। सिरमौर जिले के बड़े इलाके में अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। सोलन में 28.35 फीसदी अनुसूचित जाति, जबकि 4.42 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं। सिरमौर में 30.34 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं।
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