नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के अररिया में चुनावी रैली के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा EVM-VVPAT फैसले की सरहना की। पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया। इस बीच, उन्होंने बिहार में विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर हमला किया।
पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया लोकतांत्रिक
द मिंट की खबर के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा- RJD और कांग्रेस के गठबंधन को ना ही भारत के संविधान की परवाह है और ना ही लोकतंत्र की। पीएम मोदी ने आगे कहा कि इन्होंने दशकों तक लोगों को उनके मतों का अधिकार करने नहीं दिया। इनके समय में बूथ कैपचरिंग एक आम बात थी। इन्होंने लोगों को वोट देने के लिए घर से बाहर पैर रखने नहीं दिया। अब जब ईमानदार जनता के पास EVM मशीन की ताकत है तो ये लोग EVM को हटाना चाहते हैं। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने बयान में कहा कि देश में बैलट पेपर के पुराने सिस्टम से वोटिंग नहींं होगी। पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतांत्रिक बताया और कोर्ट की जमकर तारीफ की।
EVM-VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि EVM से ही मतदान होगा। VVPAT से 100 प्रतिशत पर्चा मिलान भी नहीं कराया जाएगा। यह भी कहा कि 45 मिनट तक VVPAT की पर्ची सुरक्षित रहेगी।
कोर्ट ने क्या कहा?
इस फैसले के निष्कर्ष का हवाला देते हुए जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बैलेट पेपर से मतदान को वापस लाने, EVM-VVPAT सत्यापन पूरा करने, मतदाताओं को वीवीपैट पर्चियां बैलेट बॉक्स में डालने के लिए देने की प्रार्थनाएं खारिज कर दी गई हैं। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, "हमने मौजूदा प्रोटोकॉल, तकनीकी पहलुओं और रिकॉर्ड में मौजूद डेटा का हवाला देते हुए उन सभी को खारिज कर दिया है।"
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट के जज संजीव खन्ना और जज दीपांकर दत्ता की पीठ ने 18 अप्रैल को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ EVM का उपयोग करके डाले गए वोटों के क्रॉस-चैकिंग की मांग वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पहले कहा था कि इस पर स्पष्टीकरण की जरूरत है। कुछ ऐसे पहलू है जिन पर EVM पर 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों' (FAQ) में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए उत्तर अभी भी साफ नहीं हैं। इस सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट के जज दत्ता ने वकील प्रशांत भूषण से कहा कि चुनावी चिन्ह के साथ छेड़छानी की अबतक कोई घटना सामने नहीं आई है। जस्टिस दत्ता ने आगे कहा, गिने गए 5% VVPAT पर कोई उम्मीदवार दिखा दे की वोट मैच नहीं हुआ है।
VVPAT मामले में सुप्रीम कोर्ट का बयान
सुप्रीम कोर्ट के जज खन्ना ने आश्वासन दिया, “अगर कुछ सुधार करना है, तो हम निश्चित रूप से सुधार कर सकते हैं। अदालतों ने दो बार हस्तक्षेप किया। एक बार जब हमने कहा था कि VVPAT अनिवार्य होना चाहिए। दूसरी बार, जब हम एक से बढ़कर 5 हो गए।'' सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी शीर्ष अदालत ने मतदान प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव मांगा, तो प्रस्तुतियां में लिखा था बैलट पेपर को वापस लाएं। अपने बचाव में चुनाव आयोग के अधिकारी ने शीर्ष अदालत को बताया, “सभी तीन इकाइयों CU, BU और VVPAT के पास अपने स्वयं के माइक्रो कंट्रोलर हैं। ये माइक्रो कंट्रोलर इसमें रखे गए हैं। इससे छेड़खानी नहीं की जा सकती।
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