Lok Sabha Poll: चुनावी मुद्दा बना VVPAT, वोट चोरी का विपक्ष लगा रहा आरोप; जानें देश में कब हुआ लांच

New Delhi: चुनाव का समय है ऐसे में EVM और VVPAT का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को EVM मशीन को बैलट पेपर से बदलने वाली मांग को खारिज कर दी है।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव शुरु हो रहे हैं, ऐसे में देश में EVM और VVPAT पर फिर से मुद्दा गर्म हो गया है। EVM मशीन में वोट से छेड़खानी होती है इसे बैलेट पेपर से बदलना चाहिए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। चुनाव आयोग आज अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करेगा।

क्या है VVPAT?

VVPAT (वोटर वेरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) एक ऐसी मशीन है जिसका चुनाव की प्रक्रिया कराने के लिए किया जाता है। इसे इस तरह समझें एक वोटर जब पोलिंग बुथ में वोट देने जाता है तब EVM मशीन पर दिए गए राजनीतिक दलों के निशान में से किसी एक दल को वोट देना होता है। इसके लिए वोटर को EVM मशीन पर किसी एक पार्टी के निशान के सामने बटन दबाना पड़ता है। इसके बाद वोटर VVPAT के जरिए अपना वोट देख सकता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक पर्ची होती है, जो कि VVPAT पर नज़र आती है। चुने गए उम्मीदवार को वोट देने के बाद वोटर VVPAT के जरिए देख सकता है कि उसने किस उम्मीदवार को वोट दिया है साथ ही पार्टी का निशान भी नज़र आता है। इसे फीडबैक भी कहते हैं। VVPAT को प्रयोग करने के अनेक फायदे होते हैं जैसे वोटों का फर्जीवाड़ा, वोट चोरी या गलत उम्मीदवार पर वोट जाना आदि।

देश में कब पहली बार कब उपयोग में आया VVPAT?

साल 2010 में चुनाव आयोग ने देश के सभी राजनीतिक दलों के साथ सार्वजनिक बैठक बुलाई। इस बैठक में चुनाव आयोग ने EVM मशीन से चल रहे वोटों को और अधिक पारदर्शी बनाने का सुझाव प्रस्तुत किया। इस पर सभी दलों ने सहमति जताई। उसके बाद जुलाई 2011 में चुनाव आयोग ने एक प्रोटोटाइप तैयार किया। चुनाव आयोग ने टेस्टिंग के लिए लद्दाख, तिरुवनंतपुरम, चेरापूंजी, पूर्वी दिल्ली और जैसलमेर में फील्ड परीक्षण आयोजित किया। इसके डिजाइन को बेहतर बनाने के लिए लगातार परीक्षण किया गया। साथ ही सभी राजनीतिक दलों से फीडबैक लिया गया। इसके बाद चुनाव आयोग की स्पेशल कमिटी ने फरवरी 2013 में VVPAT को मंज़ूरी दी। देश में पहली बार 2013 में नागालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र के सभी 21 मतदान केंद्रों पर पहली बार VVPAT का उपयोग किया गया। जून 2017 तक देश के सभी क्षेत्रों में VVPAT को 100% अपनाया गया।

क्या है EVM का मुद्दा?

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को EVM मशीन को बैलट पेपर से बदलने वाली मांग को खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता ने EVM में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि बैलट पेपर से पहले कैसी धोखाधड़ी होती थी। ये अबतक हम भूले नहीं है। विपक्ष ने भी EVM पर कई बार BJP सरकार पर वोटों की चोरी का आरोप लगाया है।

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