फिरोजाबाद में SP ने 24 के रण में अक्षय यादव को उतारा, चूड़ियों की नगरी में किसकी जीत की सुनाई देगी खनक

UP News: उत्तर प्रदेश की फिरोजाबद सीट पर 7 मई को तीसरे चरण में वोट पड़ेंगे। डेढ़ दशक पहले मुलायम परिवार की एंट्री के बाद यह सीट सियासी चर्चा के केंद्र में बनी हुई है।
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लखनऊ, हि.स.। देश और दुनिया भर में कांच की रंग-बिरंगी चूड़ियों का शहर फिरोजाबाद को सुहागनगरी भी कहा जाता है और कांच का शहर भी। चूड़ियों का तरह ही यहां की सियासत का भी रंग एक सा नहीं है। इस शहर के सियासी आईने में भी चेहरे बदलते रहे हैं। 90 के बाद के डेढ़ दशक को छोड़ दिया जाए तो यहां की नुमाइंदगी का लगातार मौका हासिल करना मुश्किल ही रहा है।

फिरोजाबाद लोकसभा सीट का इतिहास

डेढ़ दशक पहले मुलायम परिवार की एंट्री के बाद यह सीट सियासी चर्चा के केंद्र में बनी हुई है। फिरोजाबद सीट पर 7 मई को तीसरे चरण में वोट पड़ेंगे। देश जब आजाद हुआ और पहला लोकसभा चुनाव जब 1952 में हुआ था तब इसे आगरा पूर्वी लोकसभा के रूप में पहचान मिली थी। इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 1967 में सोशलिस्ट पार्टी ने यहां से चुनाव जीता और फिर 1971 में कांग्रेस ने यहां पर जीत हासिल की। 1977 से लेकर 1989 तक हुए कुल चार चुनाव में भी कांग्रेस सिर्फ एक बार ही जीत पाई।

1991 के बाद लगातार तीन बार यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जीती। उसके बाद 1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी (सपा) जीती। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2009 से इस सीट पर चुनाव लड़े और जीते हालांकि चुनाव के बाद उन्होंने इस सीट को छोड़ दिया था। 2009 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को चुनाव मैदान में करारी शिकस्त दी। 2014 में सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने जीत हासिल की। वर्ष 2019 में मोदी लहर के चलते सैफई परिवार को हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के डा.चंद्रसेन जादौन यहां से सांसद बने।

पिछले दो चुनावों का हाल

साल 2019 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा प्रत्याशी चंद्रसेन जादौन ने सपा के उम्मीदवार अक्ष्या यादव को मात दी थी। जादौन को 495,819 (46.06 प्रतिशत) और अक्षय यादव को 467,038 (43.38 प्रतिशत) वोट मिले थे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) प्रत्याशी शिवपाल सिंह यादव सिर्फ 91,8969 (8.53 प्रतिशत) वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

अब बात करें साल 2014 लोकसभा चुनावों की तो इस चुनाव में भी सपा के अक्षय यादव ने जीत दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा के एसपी सिंह बघेल को मात दी थी। सपा को 534.583 (48.39 प्रतिशत) और भाजपा को 420,524 (38.07 प्रतिशत) वोट मिले थे। बसपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार?

सपा ने अक्षय यादव को एक बार फिर इस सीट से मैदान में उतारा है। भाजपा ने वर्तमान सांसद चंद्रसेन का टिकट काटकर बसपा से भाजपा में शामिल हुए ठाकुर विश्वदीप को टिकट दिया है। बसपा की ओर से सत्येंद्र जैन मैदान में हैं।

फिरोजाबाद सीट का जातीय समीकरण

फिरोजाबाद लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर-20 है। यहां कुल वोटर्स 18 लाख, 81 हजार, 505 है। इस क्षेत्र में मुस्लिम-यादव वोटरों की तादात 6 लाख से अधिक है। 2 लाख से अधिक जाटव हैं। ठाकुर, ब्राह्मण, वैश्य, जैन 3 लाख से अधिक तो लोध वोटरों की तादाद भी 1.25 लाख के करीब है। जाटों की भी प्रभावी संख्या है।

विधानसभा सीटों का हाल

फिरोजाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें टुंडला, जसराना, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद और सिरसागंज सीटें शामिल हैं। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में इसमें से सिर्फ टुंडला और फिरोजाबाद सीट पर भाजपा ने बाजी मारी थी और बाकी सीटें सपा के खाते में गई थीं।

दलों की जीत का गणित और चुनौतियां

सपा ने गढ़ पाने के लिए 24 के रण में फिर अक्षय यादव को उम्मीदवार बनाया है। इस बार सपा इस सीट पर वापसी के लिए पूरी दम लगाए हुए है। अक्षय यादव की जीत को अपनी साख का प्रश्न बना लिया है। इस चुनाव का नतीजा उनका राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा। चाचा शिवपाल के साथ आने से अक्षय की स्थिति पहले से काफी मजबूत मानी जा रही है। भाजपा ने उद्यमी एवं शिक्षाविद ठाकुर विश्वदीप सिंह पर दांव लगाया है। विश्वदीप सिंह के पिता ठाकुर बृजराज सिंह 1957 से 1962 तक सेसोपा से सांसद रहे हैं। पार्टी अगड़े, अति पिछड़े बिरादरी के साथ ही दलित वोटरों में बनी पैठ को और मजबूत बनाने में लगी है। बसपा के अकेले चुनाव लड़ने से मामला त्रिकोणीय हो गया है।

राजनीतिक विशलेषक विनय मिश्र के अनुसार, बीते कुछ चुनाव को देखें तो मोदी-योगी सरकार के विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनओं से बीजेपी को चुनावों में भरपूर लाभ मिला है। खासकर महिलाओं ने बीजेपी को बढ़-चढ़कर वोट दिया है। बसपा जितना सपा के वोट बैंक में सेंध लगाएगी भाजपा की राह उतनी आसान होगी।

फिरोजाबाद से कौन कब बना सांसद?

1957 बृजराज सिंह (निर्दलीय)

1962 शंभुनाथ चतुर्वेदी (कांग्रेस)

1967 शिवचरण लाल (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)

1971 छत्रपति अम्बेश (कांग्रेस)

1977 रामजी लाल सुमन (भारतीय लोकदल)

1980 राजेश कुमार सिंह (निर्दलीय)

1984 गंगा राम (कांग्रेस)

1989 रामजी लाल सुमन (जनता दल)

1991 प्रभुदयाल कठेरिया (भाजपा)

1996 प्रभुदयाल कठेरिया (भाजपा)

1998 प्रभुदयाल कठेरिया (भाजपा)

1999 रामजी लाल सुमन (सपा)

2004 रामजी लाल सुमन (सपा)

2009 अखिलेश यादव (सपा)

2009 राजबब्बर (कांग्रेस) (उपचुनाव)

2014 अक्षय यादव (सपा)

2019 चंद्रसेन जादौन (भाजपा)

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