नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद की बहरमपुर सीट कांग्रेस का पुराना किला है। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी 1999 से लेकर अबतक लगातार 5वी बार सांसद बने हैं। इस बार भी पार्टी ने उन्हें उनके गढ़ से टिकट थमाया है। बहरमपुर लोकसभा सीट पर 52% आबादी मुस्लिम समुदाय की है। लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि इस सीट पर आजादी के बाद से आज तक कोई मुस्लिम सांसद बनकर नई दिल्ली नहीं पहुंचा है।
TMC ने मुस्लिम कार्ड पर चला दांव
पूरे देश के साथ पश्चिम बंगाल में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। राज्य की कई सीटें हाई प्रोफाइल हैं, जिनमें मुर्शिदाबाद की बहरमपुर सीट भी शामिल है। बहरमपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय महामुकाबला होगा। ममता बनर्जी ने इस सीट पर मुस्लिम कार्ड खेला है। TMC ने टीम इंडिया के मशहूर पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी युसूफ पठान को टिकट देकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। बहरामपुर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और यहां पठान की उम्मीदवारी से तृणमूल में काफी उत्साह है। हालांकि तृणमूल के अंदर ही पठान की उम्मीदवारी को लेकर विरोध के सुर उठ चुके हैं। इस सीट पर चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा।
मुस्लिम वोट बंटने से बीजेपी को हो सकता है फायदा
बीजेपी ने डॉ. निर्मल कुमार साहा को बहरमपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है। निर्मल इलाके में मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता हैं और साफ-सुथरी छवि के नेता हैं। अगर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोट बंटता है तो इसका फायदा बीजेपी को हो सकता है। वाम मोर्चा ने यहां से उम्मीदवार नहीं उतारा क्योंकि माकपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं।
क्या है राजनीतिक इतिहास?
1952 में देश में सबसे पहले हुए संसदीय चुनाव में बहरामपुर से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी से त्रिदिव चौधरी जीते थे और वह 1984 तक 7 बार सांसद रहे। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी इस सीट से 11 बार जीत दर्ज कर चुकी है। 1999 के बाद यह खेल पलट गया और कांग्रेस को जनता का साथ मिला। बहरामपुर में लंबे समय तक सांसद रहने वालों में अधीर चौधरी शामिल हो गए हैं।
निर्णायक है अल्पसंख्यक मतदाता, दिलचस्प इतिहास
बहरमपुर लोकसभा सीट इसलिए भी काफी अहम मानी जाती है क्योंकि यहां पर शुरू से ही अल्पसंख्यक मतदाता निर्णायक भूमिका में रहे हैं। बहरमपुर कांग्रेस का पुराना गढ़ है। बहरमपुर लोकसभा के अंतर्गत ये विधानसभा क्षेत्र आते हैं- कांदी, बरवा, भरतपुर, रेजीनगर, बेलडांगा, बहरमपुर, नउदा। यह क्षेत्र मुर्शिदाबाद जिले में आता है। इस क्षेत्र पर मुर्शिद कुली खान का शासन रहा। यहां तब की मस्जिदें, मकबरे और उद्यान बने हुए हैं। निजामत किला, हज़ार्डियरी पैलेस, मोती झील यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं। इस क्षेत्र में हाथी के दांत, सोने और चांदी की कढ़ाई और रेशम की बुनाई के कई कारखाने हैं। बहरमपुर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है।
2019 में अधीर ने तृणमूल उम्मीदवार को दी थी मात
बहरामपुर में कांग्रेस उम्मीदवार और मौजूदा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अपूर्बा सरकार को 2019 के लोकसभा चुनाव में हराया था। उन्होंने 80 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से शिकस्त दी। इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल की राजनीति में दमखम रखने वाले अधीर रंजन चौधरी का दबदबा रहा है। अधीर रंजन चौधरी 1999 में बहरामपुर सीट से पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और जीत हासिल की। उसके बाद 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार जीत दर्ज कर संसद में पहुंचे। इस बार गठबंधन में माकपा और कांग्रेस साथ हैं इसलिए कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी के ही चुनावी मैदान में उतारा है।
कुल मतदाता- 14,53,783
पुरुष वोटरों की संख्या- 7,52,943
महिला वोटरों की संख्या- 7,00,833
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