Chunavi Kissa: बुंदेलखंड में आतंक का दूसरा नाम था ददुआ, जंगल से चलाता था सरकार; जानें इस डाकू की कहानी

UP News: आज जहां उत्तर प्रदेश में एक ओर गुंडाराज पर शिकंजा कसा जा रहा है एक ऐसा वक्त था जब बीहड़ के डाकू का बुंदेलखंड में ऐसा राज था कि नेता से लेकर पुलिस तक उनसे डरती थी।
Dacoid Dadua
Chunavi Kissa
Dacoid Dadua Chunavi KissaRaftaar.in

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में एक ऐसा भी वक्त था जब डाकू ददुआ का नाम इतना चलता था कि उनके सामने पुलिस, नेता, व्यापारी सभी सलाम ठोकते थे। बाहुबली ददुआ का अपराध और राजनीति दोनों में ही इतना दबदबा था कि उनकी इच्छा से क्षेत्र में एक पत्ता तक नहीं हिलता था। वहीं तय करते थे कौन बनेगा सांसद और विधायक।

ददुआ का राजनीति में रहा खौफ

डाकू यूं तो जंगल में रहते हैं, लेकिन इस डाकू ने जंगल में रहकर बुंदेलखंड में अपनी सरकार चलाई। बीहड़ के इस डाकू से बड़े-बड़े लोग डर से कांपते थे। यहां तक कि पुलिस और नेता भी उनसे पंगा लेने से डरते थे। बुंदेलखंड में 30 सालों तक राज करने वाले ददुआ, वे ही चुनते थे कौन-से दल का नेता कहां से चुनाव में खड़ा होगा। यहां तक कि ददुआ जातिगत राजनीति में भी माहिर थे। रात के अंधेरे में कई नेता छुप-छुपाकर ददुआ से चुनाव में मदद मांगने जाते थे। खुद उनके बेटा-भतीजा विधायक और भाई सांसद बन चुके हैं। क्षेत्र में ददुआ का ऐसा खौफ था कि सरकारी काम हो या गैर-सरकारी, ददुआ को 10% पैसा देना पड़ता था। तब बुंदेलखंड में दो नारे बेहद प्रसिद्ध थे। एक था न जात पर न पात पर, मुहर लगेगी ददुआ की बात पर। इसके अलावा एक खास पार्टी के लिए नारा था, ‘मुहर लगेगी हा… पर वरना गोली पड़ेगी छाती पर।

पुलिस एनकाउंटर में मारा गया ददुआ

लेकिन कहते हैं ईश्वर के घर में देर है अंधेर नहीं। पाप चाहे कितना भी बड़ा हो एक न एक दिन पाप का मटका फट कर गिरता ही है। 2007 में पुलिस एनकाउंटर में ददुआ की मौत हो गई तब से इलाके में शांंति का माहौल है। लेकिन ददुआ का खौफ उनकी मौत के बाद भी बरकरार रहा। उनकी मौत के बाद उनके परिवार वालों ने भी राजनीति में कदम रखा। ददुआ के छोटे भाई बालकुमार पटेल साल 2009 में मिर्जापुर सीट से सांसद बने। इन्हीं बालकुमार का बेटा राम सिंह 2012 में प्रतापगढ़ की पट्टी सीट से विधायक चुना गया। खुद ददुआ का बेटा वीर सिंह चित्रकूट की कर्वी सदर सीट से विधायक बना।

मोदी लहर में क्या हुआ बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट का हाल?

मोदी लहर में बांदा-चित्रकूट संसदीय सीट से बालकुमार पटेल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी किस्मत आजमाई थी। हालांकि, कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े बाल कुमार पटेल को हार का सामना करना पड़ा था। तब सपा के श्यामा चरण गुप्ता और भाजपा प्रत्याशी आरके सिंह पटेल के बीच मुकाबला था, जिसमें आरके सिंह ने विजय हासिल की थी। इसी चुनाव में वीर सिंह को सपा ने मध्य प्रदेश की खजुराहो सीट से उम्मीदवार बनाया था पर उसे भी हार मिली थी। फिलहाल बालकुमार धोखाधड़ी के एक केस में जेल में है।

कौन था ददुआ?

डाकू ददुआ का असली नाम शिव कुमार पटेल था। वह चित्रकूट जिले के देवकली गांव का निवासी था। ददुआ पेशे से एक स्कूल में चपरासी था। ददुआ किसी डाकू के खानदान से नहीं था, बाद में डाकू बना। कुछ लोगों का कहना है कि एक बार गांव के जमींदार ने किसी बात पर नाराज होकर शिवकुमार के पिता को पीटा और नंगा कर घुमाने के बाद कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। साथ ही शिवकुमार को डकैती के आरोप में जेल भेज दिया। इसका बदला लेने के लिए वह डकैत बना था। वहीं, कुछ और लोग इस बात का विरोध करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ था और ददुआ अपनी संगत और इच्छा से डकैत बना था।

अन्य खबरों के लिए क्लिक करें:- www.raftaar.in

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in