Deadlift: आपके शरीर की मज़बूती के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज

डेडलिफ्ट व्यायाम का मतलब ही प्रबल वजन उठाना है। इस गतिविधि में कई लोग बिना किसी अनुभव के करना बेहद खतरनाक हो सकता है। इस कसरत को लेग डे (टांगों के व्यायाम) या बैक डे शामिल किया जा सकता है।
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नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। डेडलिफ्ट क्या है? - What is Deadlift?

डेडलिफ्ट एक वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज है जिसमें कई मांसपेशियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस व्यायाम को करने के लिए छह फुट की बारबेल रॉड में वजन वाली प्लेट लगाई जाती हैं जिसे हाथों, कमर, कूल्हों और कंधों के बल से उठाया जाता है। इस व्यायाम से शक्ति, मजबूती, स्थिरता और मसल ग्रोथ में बढ़ोतरी होती है। डेडलिफ्ट एक ऐसा व्यायाम है, जिसमें आपको सभी रैप शुरुआत से शुरू करने होते हैं। एक रैप पूरा होते ही रॉड को नीचे रख देना होता है और उसके बाद उसे फिर से उठाना होता है। इसमें पिछेल रैप की गतिविधि की कोई मदद नहीं मिलती है। इसलिए इसे डेड लिफ्ट कहा जाता है।

इस कसरत को करने के लिए अधिक उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती है, इसके लिए आपको केवल एक बारबेल रॉड और प्लेट्स की जरूरत होती है। इस व्यायाम को आमतौर पर किसी भी वर्कआउट डे में शामिल किया जा सकता है, लेकिन ग्लूट्स और लोअर बैक मुख्य मसल टारगेट होने के कारण अधिकतर लोग इसे या तो लेग डे या बैक डे में शामिल करते हैं।

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डेडलिफ्ट के प्रकार - Types of Deadlift

डेडलिफ्ट को करने के कई तरीके हैं

सूमो डेडलिफ्ट

हेक्स या ट्रैप बार डेडलिफ्ट्स

वाइड ग्रिप/स्नैच ग्रिप डेडलिफ्ट

स्ट्रेट लेग डेडलिफ्ट/स्टिफ लैग्ड डेडलिफ्ट

डेफिसिट डेडलिफ्ट/रैक पुल्लस

ब्लॉक डेडलिफ्ट

डंबल डेडलिफ्ट

सिंगल लेग डेडलिफ्ट

हैक डेडलिफ्ट

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डेडलिफ्ट से प्रभावित मांसपेशियां - Muscle Targeted by Deadlift

डेडलिफ्ट कूल्हे की वृद्धि के लिए इतनी महत्वपूर्ण होती है कि यह ग्लूटियस मैक्सिमस की मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव बनाती हैं। ग्लूटियस मैक्सिमस हमारे कूल्हों के ठीक नीचे स्थित होता है। हालांकि, डेडलिफ्ट केवल ग्लूट्स को ही प्रभावित नहीं करती, बल्कि कई अन्य मांसपेशियों को भी ट्रेन करने में मदद करती है। इस व्यायाम की संपूर्ण गतिविधि में चार मांसपेशियों का समूह शामिल होता है।

क्वाड्रीसेप्स - टांगों के सामने की इन मांसपेशियों को अक्सर क्वाड भी कहा जाता है। यह मांसपेशियां कूल्हों के नीचे से लेकर घुटनों के ठीक ऊपर तक स्थित होती हैं।

थाई के अंदर का अडक्टर मैग्नस - यह जांघ की अंदरूनी मांसपेशियों का एक प्रकार होता है, जो दोनों टांगों के ग्रोइन भाग के ठीक नीचे स्थित होता है।

हैमस्ट्रिंग - जांघ के पीछे का हिस्सा, यह ग्लूट्स के नीचे से लेकर घुटने के जोड़ तक होता है (डेडलिफ्ट के दौरान हैमस्ट्रिंग का केवल निचला हिस्सा ही सक्रिय होता है)।

सोलियस - यह एक प्रकार की मांसपेशियां होती हैं जो पिंडली के बीच के भाग में स्थित होती हैं।

डेडलिफ्ट में घुटनों को मोड़ते या सीधे करने से क्वाड्स पर प्रभाव पड़ता है, सोलियस टखने को झुकने और पिंडली को शुरुआती अवस्था पर आने में मदद करते हैं।

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डेडलिफ्ट करने के फायदे - Benefits of Deadlift

फैट कम करने में अत्यधिक प्रभावशाली होती है डेडलिफ्ट -केवल डाइटिंग या डाइटिंग के साथ कार्डियो व्यायाम करने से अधिक फैट बर्न डेडलिफ्ट या अन्य वेट लिफ्टिंग कसरत करने से होता है।

डेडलिफ्ट से बेहतर होता है पोस्चर -डेडलिफ्टिंग कोर की मजबूती और स्थिरता को बेहतर बनाने में मदद करती है। इस कसरत में वह सभी मांसपेशियां इस्तेमाल होती हैं, जिनपर हमारा पोस्चर निर्भर करता है। इसके साथ ही यह रोजाना की गतिविधियों के दौरान कमर को सीधे रखने में मदद करती है।

डेडलिफ्ट से रोजाना की गतिविधियों में मिलती है मदद -अन्य व्यायामों जैसे बेंच प्रेस के मुकाबले आप रोजाना के कार्य या वजन उठाने में डेडलिफ्ट की गतिविधियों का इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए डेडलिफ्ट करने से अन्य कार्यों जैसे सिलिंडर उठाना या घर में किसी सामान को एक जगह से दूसरी जगह लगाने में आसानी होती है।

डेडलिफ्ट कसरत से होती है हार्मोन्स में बढ़ोतरी -डेडलिफ्ट के 8 से 10 रैप शरीर में टेस्टोस्टीरोन और ग्रोथ हार्मोन के स्तर को बढ़ाते हैं। टेस्टोस्टीरोन मसल ग्रोथ और मांसपेशियों को रिपेयर करने की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं जबकि, ग्रोथ हार्मोन ऊतकों को ठीक करने, हड्डियों को मजबूत बनाने और वसा को कम करने में मदद करते हैं।

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डेडलिफ्ट करने का सही तरीका - Deadlift Proper Form

  1. डेडलिफ्ट करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बॉडी पोस्चर होता है, इसीलिए पोजीशन का खास ध्यान रखें

  2. शुरुआत में बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं

  3. पैरों के बीच आधा फुट गैप बनाएं और घुटनों को हल्का मोड़ लें

  4. कूल्हों को जितना हो सके उतना पीछे की ओर खींचे

  5. टांगों के सामने की बजाय बारबेल को बाहर से पकड़े

  6. अपनी एड़ियों को फर्श की ओर दबाएं और वजन उठाते समय सामने की ओर देखते रहें

  7. अब रॉड समेत सीधे खड़े हो जाएं

  8. ध्यान रहे कि गतिविधि के दौरान रीढ़ की हड्डी मुड़े या झुके नहीं

  9. इस अवस्था में कूल्हों को रॉड की तरफ धकेलें

  10. अब रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए समान गतिविधि के साथ शुरुआती पोजीशन में आ जाएं, यह एक रैप है

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