रफ्तार, न्यूज डेस्क। पॉपी के फूल को पोस्ता का फूल कहा जाता है. ये सफेद, लाल, पीले व बैंगनी रंग के फूल होते है। दिखने में ये फूल काफी आकर्षक होते है. इन फूलों का इस्तेमाल आमतौर पर घरों की सजावट के लिये किया जाता है. साथ ही विदेशों में लोग इसे अपने घरों के गमलों में लगाते है.
जहां विदेशों में लोग एक दूसरे को पॉपी का फूल देते हैं, तो वहीं भारत में इस पर प्रतिबंध लगा हुआ है. यहां पर खेती करने के लिए आबकारी विभाग से इजाजत लेनी पड़ती है. आबकारी विभाग के बिना इजाजत के खेती करने वालों के ऊपर सरकार के द्वारा कार्यवाही की जाती है. आमतौर पर पॉपी के पेड़ की लम्बाई 60 सेंटीमीटर होती है और इसके तने से सीधा फूल निकलता है.
पॉपी के बीजों से निकाला जाता है पोस्ता
यूं तो पॉपी के बीज का इस्तेमाल अफीम बनाने के लिये किया जाता है, लेकिन पॉपी के बीज से पोस्ता भी निकाला जाता है. पोस्ता के बीजों का उपयोग मिठाई और व्यंजनों में किया जाता है. पॉपी के बीज से निकलने वाले तेल का उपयोग पकवान बनाने में किया जाता है. कुछ रिसर्च की माने तो इसके तेल का प्रयोग खाने में करने से बाल और स्किन जैसी समस्याओं में फायदा करता है.
ऐसे निकाला जाता है अफीम
पॉपी के फूल के ऊपर होता है. डूडा पर तेजधार धार चाकू या ब्लेड से चीरे लगाये जाते है. इसमें से एक गाढ़ा और चिपचिपा से दूध निकलता है. जब ये दूध सुख जाता है तो इसे खुरच लिया जाता है, जिसका उपयोग अफीम बनाने में किया जाता है. डोडे के छिलके को पानी में भिगोकर बचे हुए अफीम को भी निकाल लिया जाता है. इसमें से मॉरफीन औऱ कोडीन निकाले जाते है औऱ यह दोनों दवाइयों के लिये इस्तेमाल किये जाते है. अफीम के अंदर आमतौर से 8 से 22 प्रतिशत मॉरफीन पाया जाता है.