प्रयागराज, एजेंसी। भारतीय पद्धति द्वारा प्राकृतिक उपचार में सूर्य चिकित्सा, अग्नि चिकित्सा, मंत्र चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा, जल चिकित्सा, स्पर्श चिकित्सा के साथ-साथ आयुर्वेद चिकित्सा से भी लोगों का उपचार होता था। आयुर्वेद एक ग्रंथ है जिसमें रोग नाशक और रोग प्रतिरोधक दवाओं के बारे में बताया गया है। यह बातें स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान मधुबन बिहार स्थित प्रयागराज रेकी सेंटर पर लोगों को सम्बोधित करते हुए कही।
रिसर्च पर दिया जोर
सतीश राय ने कहा जितना धन आज तक एलोपैथ के रिसर्च पर खर्च हुआ है उसका आधा खर्च भी यदि भारतीय उपचार पद्धतियों पर हुआ होता तो जिस प्रकार पेड़ पौधे अपना भोजन सूर्य से सीधे प्राप्त करते हैं, उसी प्रकार इंसान भी अपने भोजन की एनर्जी सीधे सूर्य से प्राप्त करता।
चरक संहिता जीवन पद्धति सुधारने पर जोर देता है
सतीश राय ने कहा आयुर्वेद का वर्णन ऋग्वेद के अलावा चरक संहिता में भी मिलता है। महर्षि चरक द्वारा रचित ग्रंथ चरक संहिता में आयुर्वेद का विस्तृत उल्लेख किया गया है। चरक संहिता में शरीर के अंगों को मजबूत बनाने और रोगों से बचाव की औषधि बताई गई है। चरक संहिता जीवन पद्धति सुधारने पर जोर देता है। इसी तरह च्यवन एक ऋषि थे जिन्होंने जड़ी बूटियों से च्यवनप्राश नामक एक औषधि को बनाकर उसका सेवन किया तथा अपनी वृद्धावस्था से पुनः युवा बन गए थे। स्वस्थ व शरीर को निरोग रखने के लिए चरक संहिता मे सोना, चांदी, तांबा, लोहा जैसी धातुओं के भस्म का उपयोग करना बताया गया है। इसे शरीर चिकित्सा का विज्ञान भी कहते हैं।