
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: हम अक्सर जाने अनजाने बाहर की कई चीजें अखबार में लपेटकर खा लेते है। जैसे समोसा, पकौड़े, भेलपुड़ी ,कचौड़ी आदि। इतना ही नहीं ये चीजें हम अखबार ने रैप करवाकर भी घर ले आते है। और घर में बनी खाने की चीजों को अखबार में लपेटकर ऑफिस ले जाते है। तब हमें इस बात का अंदाजा तक नहीं होता कि यह कितना घातक और खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसा करने से हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचता है। क्योंकि अखबार के छपी स्याही एक केमिकल होती है। जो कई प्रकार के इंफेक्शन और बीमारी फैलाती है। इतना ही नहीं यह इतना खतरनाक हो सकता है कि आपको कैंसर की ओर भी ले जा सकता है। तो चलिए जानते हैं अखबार पर खाना लपेट कर ले जाने से क्या होता है। और हमें क्यों नहीं खाना चाहिए।
वैसे तो हमारे शरीर का एक एक अंग कीमती है। साथ ही ये अंग काफी सेंसिटिव भी है। क्या आप जानते है कि अखबार में ऑयली खाना खाने से लीवर में कैंसर हो सकता है। ज्यादातर लोग रोड के किनारे पर लगे हुए फूड स्टॉल से भजिया, पकोड़े और अधिक गर्म चीज अखबारों में रखकर खाते है या लपेटकर घर ले जाते हैं। जिससे लीवर में कैंसर बढ़ने की पूरी तरह संभावना होती है। लीवर कैंसर के अलावा मूत्राशय थैली में भी कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है।
अखबार में गर्म खाना रखने से उसकी स्याही कई बार खाने पर चिपक जाती है। जिसकी वजह से फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना बहुत अधिक बन जाती है। फेफड़ों के कैंसर से सबसे पहले फेफड़ों के हिस्से को अपनी चपेट में लेता है। फिर धीरे धीरे पूरे शरीर में फेल जाता है। यह कैंसर धमनियों को भी नष्ट कर देता है।
जब भी आप गर्म खाना न्यूज़ पेपर पर रखकर खाते हैं तो इसकी स्याही इतनी खतरनाक होती है कि यह खाने के साथ पेट में चली जाती है । और पेट से फिर खून के जरिए हमारे शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचती है। अगर यह शरीर से मस्तिष्क के ब्लड सेल्स में चली जाती है तो फिर उसकी कोशिकाएं शिथिल और सिकुड़ने लगती हैं। जिससे ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
अखबार में लपेटकर खाना खाने से पेट में घाव हो सकता है। इसकी वजह से पेट में अधिक गैस बनने की संभावना बढ़ती है। पेट दर्द की शिकायत बनी रहती है। वहीं कुछ लोगों में हार्मोनल डिसबैलेंस होने का भी खतरा रहता है। साथ ही कब्ज जैसी बीमारियां भी होने लगती है।
न्यूज़पेपर का इंक हार्मोनल बैलेंस को बिगाड़ सकता है। जिसकी वजह से पुरुषों में प्रजनन क्षमता कमजोर हो जाती है और वह नपुंसकता के शिकार हो जाते है। इसके साथ ही उनके टेस्टिकल में बनने वाले शुक्राणु की क्रिया में भी कमजोरी आती है। जिसकी वजह से उन्हें आगे चलकर कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।