कम्प्यूटेड टोमोग्राफी - Computed Tomography in Hindi

कम्प्यूटेड टोमोग्राफी - Computed Tomography in Hindi

सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी एक चित्रांकन विश्लेषण है, जो एक्स-रे का ही एक रूप है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसमें रोगी को लिटाकर प्रभावित अंग की जांच के रूप में कई त्रि-आयामी (3D) चित्र लिए जाते हैं। स्कैनर का हर एक रोटेशन, अंग की एक हल्की तस्वीर दिखाता है।

सीटी स्कैन (CT Scan) की कुछ विशेष निरीक्षणों में, विशेष डाई का इस्तेमाल भी किया जाता है, जिसे जांच के दौरान मरीज की नसों या शरीर के अन्य भागों में बेहतर चित्रों को देखने के लिए लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ प्रक्रिया से पहले दवा भी खिलाई जाती है, जो शरीर के अंगों को देखने में आसानी से मदद करती है।

सीटी स्कैन (Uses of CT Scan) का इस्तेमाल शरीर के विभिन्न अंगों जैसे छाती या सीना, पेट, कमर, हाथ या पैर आदि से संबंधित बीमारियों के लक्षणों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह जांच रक्त वाहिकाओं, हड्डियों और रीढ़ की हड्डी का भी अध्ययन करती है।

सीटी स्कैन में फ्लोरोस्कोपी सीटी स्कैन एक विशेष परीक्षण है, जो आसानी से हर जगह नहीं हो सकता। इस निरीक्षण के लिए शरीर के भीतर हो रही समस्या को देखने के लिए एक्स-रे की एक स्थिर बीम (रोशनी) का उपयोग किया जाता है, जो शरीर के भीतरी अंगों की मूवमेंट और उनके स्थान को देखने में मदद करती है। 

क्यों करवाएं कम्प्यूटेड टोमोग्राफी - Why Computed Tomography Is Done

सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच के द्वारा शरीर की विभिन्न परेशानियों का पता लगाया जा सकता है। निम्नलिखित अंगों क़े सीटी स्कैन से जिन चीजों का टेस्ट होता है वह हैं:

छाती - Chest

छाती या सीने का सीटी स्कैन फेफड़े, दिल, घेंघा, नसों या छाती में आई सूजन या किसी प्रकार के संक्रमण को जानने के लिए किया जाता है। सीने की समस्या यानि फेफड़ों के कैंसर, सीने की समस्या या फेफड़े के कैंसर, दिल की परेशानी, छाती में संक्रमण आदि का पता लगाने में सीटी स्कैन बेहद महत्वपूर्ण साबित होती है।

पेट - Abdomen

अल्सर, फोड़े, संक्रमण, ट्यूमर, धमनी- विस्फार, सूजन, आंत्र रोग, पथरी, पेट में खून के बहने या पेट से जुड़ी किसी भी अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए पेट का सीटी स्कैन किया जाता है।

मूत्र मार्ग - Urinary Tract

इस जांच में किडनी और मूत्राशय का सीटी स्कैन किया जाता है, जिसे CT KUB (Kidneys, Ureters & Bladder) या सीटी यूरोग्राम (Urogram) भी कहा जाता है। इस तरह की जांच मुख्य रूप से गुर्दे की पथरी, मूत्राशय की पथरी या मूत्रमार्ग में अवरोध जैसी समस्याओं का पता लगाती है।

लिवर - Liver

लिवर के सीटी स्कैन से, लिवर में ट्यूमर, रक्तस्राव (खून बहने) या लिवर से जुड़े अन्य रोगों का पता लगाया जाता है। इसके अलावा यह जांच पीलिया (Jaundice) के लक्षणों का पता लगाने में भी मदद करता है।

अग्न्याशय - Pancreas

अग्न्याशय में ट्यूमर, अग्न्याशय में सूजन या अग्नाशयशोथ जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए, डॉक्टर की सलाह पर अग्न्याशय का सीटी स्कैन किया जाता है।

पित्ताशय की थैली और पित्त नलिकाएं - Gallbladder and Bile Ducts

पित्ताशय की थैली और पित्त नलिकाओं की जांच द्वारा पित्त नलिकाओं में उत्पन्न अवरोध, पित्ताशय की पथरी व अन्य रोगों का निरीक्षण किया जाता है। खासतौर पर यह जांच पित्ताशय की पथरी के लिए ही की जाती है।

तिल्ली - Spleen

इस प्रकार की जांच में तिल्ली का आकार या उस पर पढ़ रहे दुष्प्रभाव का निरीक्षण किया जाता है। तिल्ली पेट के ऊपरी क्षेत्र में होती है। यह खून से अशुद्धियों और मृत रक्त कोशिकाओं को दूर करती है। साथ ही यह शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने में सहायता प्रदान करती है।

श्रोणि - Pelvis

श्रोणि यानि कोख की सीटी स्कैन जांच में श्रोणि के अंगों की समस्याओं का विश्लेषण किया जाता है। यह प्रक्रिया महिला और पुरुषों दोनों में ही भिन्न- भिन्न रूप से होती है। पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि व वीर्य पुटिका और महिलाओं में गर्भाशय, अंडाशय आदि की जांच की जाती है।

हाथ या पैर - Arm or Leg

सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी प्रक्रिया में हाथ- पैरों से संबंधित समस्याओं की जांच की जाती है, जिसमें कंधे, कोहनी, कलाई, कूल्हे, घुटने, टखने आदि शामिल होते हैं।

ऊपर दिये गए सभी अंगों के सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच, डॉक्टर के निर्देश पर की जाती है। ऊपर दिये गए सभी निरीक्षणों के अलावा यह जांच शरीर में कैंसर जैसी समस्या की भी पता लगाता है। इसके माध्यम से कैंसर का स्तर और प्रभाव देखा जा सकता है। 

कम्प्यूटेड टोमोग्राफी के लिए तैयारी - How To Prepare for Computed Tomography

कम्प्यूटेड टोमोग्राफी (CT Scan) जांच एक सामान्य निरीक्षण है, जिसके लिए कोई खास तैयारियां नहीं करने की जरूरत नहीं है। लेकिन कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना बहुत जरूरी, जो निम्न हैं:

  • यदि गर्भवती महिला कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच करवाती है, तो जांच से पहले अपने डॉक्टर या रेडियोलोजिस्ट को अपनी गर्भवस्था के बारे में सूचित करें।

  • दिल की समस्या, मधुमेह, गुर्दे की समस्या, दमा, एलर्जी आदि बीमारियों में जांच से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

  • यदि रोगी किसी विशेष दवा का सेवन करता है तो जांच से एक दिन पहले और एक दिन बाद तक दवाइयों का सेवन न करें।

  • सीटी स्कैन की जांच करवाने वाले रोगी को खाली भूखे पेट रहने की जरूरत पड़ सकती है, यह डॉक्टर के निर्देशों पर आधारित होता है।

  • जांच के दौरान रोगी के शरीर पर मैटल या कोई अन्य धातु नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा है तो जांच से पहले उसे हटा दें।

  • इस जांच प्रक्रिया में 30 मिनट से 90 मिनट तक का समय लग सकता है। इसीलिए मरीज को धैर्य रखना बहुत जरूरी है।

  • कई बार जांच के दौरान, मरीज को परेशानी होने लगती तब रेडियोलोजिस्ट उसे नींद की दवा देते हैं। ऐसे स्थिति में मरीज के साथ कोई अन्य परिजन भी होना चाहिए, ताकि जांच के बाद मरीज को घर ले जाया जा सके।

कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच प्रक्रिया - How Computed Tomography Is Done

सीटी स्कैन या कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच बहुत ही सामान्य विश्लेषण प्रक्रिया है, जिसे डॉक्टर के ऑफिस, अस्पताल या जांच केंद्र में आसानी से किया जा सकता है। कम्प्यूटेड टोमोग्राफी जांच की प्रक्रिया निम्न है:

  • जांच के दौरान प्रभावित अंग से कपड़े, गहने व अन्य उपकरणों को उतार कर टेबल पर लिटाया जाता है।

  • टेबल एक स्लाइड की तरह होती है, जो स्कैनर यानि मशीन के अंदर तक रोगी को लेती जाती है, जिसके बाद शरीर के अंगों की तस्वीरें ली जाती हैं।

  • इस पूरी प्रक्रिया के दौरान 30 से 60 मिनट लगते हैं। अधिकतर समय जांच के लिए तैयार होने में चला जाता है और वास्तविक जांच में थोड़ा- सा ही समय लगता है। 

कम्प्यूटेड टोमोग्राफी के दुष्प्रभाव - Risk of Computed Tomography

सीटी स्कैन एक टेस्ट है जिससे कई प्रकार के रोगों का पता चलता है लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव (Risk of CT Scan) भी हैं। अक्सर ब्रेन कैंसर के निदान के लिए सीटी स्कैन किया जाता है, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार सीटी स्कैन के दौरान निकलने वाली किरणें बहुत ही खतरनाक हैं क्योंकि इन किरणों से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

इस जांच के कुछ अन्य साइड इफेक्ट भी है जैसे इससे शरीर का तापमान असामान्य, शरीर के अंगों में खुजली, लाल रैशेज़ पड़ना आदि जैसी परेशानी पैदा कर सकता है। इसके अलावा गर्भवती, मधुमेह के रोगी, संवेदनशील त्वचा वाले रोगियों को भी यह जांच प्रभावित कर सकता है।

इसका प्रभाव बच्चों, किशोरों या बार- बार जांच करवाने वाले रोगियों पर ज्यादा पड़ता है। इसलिए जांच से पहले किसी अच्छे डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

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