धूप के कारण त्वचा का प्रभावित होना आम बात है। कोई भी व्यक्ति यदि धूप में ज्यादा देर रहता है तो सूर्य की किरणों उसकी त्वचा (Skin) को नुकसान (Damage) पहुंचा सकती हैं। यदि तेज धूप की वजह से त्वचा ज्यादा जल या झुलस जाए तो यह स्थिति सनबर्न (Sunburn) कहलाती है।
धूप की अल्ट्रावॉयलेट किरणें (Ultra Violet Rays) त्वचा में उपस्थित मैलेनिन (Melanin) तत्व नष्ट कर देती हैं, जिसके कारण झुलसा हुआ हिस्सा काला या गहरा भूरा पड़ जाता है। कई बार यह त्वचा के कैंसर (Skin Cancer) का कारण भी हो सकता है। इसके कारण त्वचा से संबंधित कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं और त्वचा रूखी बेजान होने लगती है। धूप का असर केवल त्वचा ही नहीं बल्कि बालों या हर उस हिस्से को प्रभावित करता है जो धूप के हिस्से में सीधे तौर पर आता है। धूप के लगातार संपर्क में रहने पर त्वचा उम्र से पहले ही बूढ़ी और बेजान नजर आने लगती है।
सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों के सीधे तौर पर संपर्क में आने पर सनबर्न होता है। शरीर प्राकृतिक रूप से मैलेनिन (Natural melanin) का निर्माण करके खुद को सूरज की किरणों के प्रकोप से बचाता है। मैलेनिन एक रंजक यानि पिगमेंट (Pigment) होता है जो त्वचा के रंग के लिए जिम्मेदार होता है। काले या सांवले लोगों की त्वचा गोरे रंग के लोगों की अपेक्षा कम डैमेज होती है क्योंकि सांवली त्वचा में पिगमेंट ज्यादा बनता है। गोरे (Fair) लोगों में पिगमेंट कम होता है इसलिए उनकी त्वचा सूर्य के संपर्क में आने पर जल्दी क्षतिग्रस्त होती है। इसके अलावा मैदानी इलाकों (Grounded Area) में रहने वाले लोगों की अपेक्षा पहाड़ी इलाकों (Hill Tract) में रहने वाले लोगों की त्वचा भी जल्दी क्षतिग्रस्त (Damage) होती है क्योंकि वहां सूरज मैदान की अपेक्षा नजदीक और तेज होता है।