प्रोस्टेट बढ़ना (प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर) - Enlarged Prostate (Prostate Disorder) in Hindi

प्रोस्टेट बढ़ना (प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर) - Enlarged Prostate (Prostate Disorder) in Hindi

प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर के बारे में - About Prostate Disorder in Hindi

प्रोस्टेट ग्लैंड ज्यादा बढ़ जाने पर प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर (Prostate Disorder) कहलाता है। लगभग तीस फीसदी पुरुष 40 की उम्र में और पचास फीसदी से भी ज्यादा पुरुष 60 की उम्र में प्रोस्टेट की समस्या से परेशान होते हैं। प्रोस्टेट ग्लैंड को पुरुषों का दूसरा दिल भी माना जाता है। पौरूष ग्रंथि शरीर में कुछ बेहद जरूरी क्रिया करती है। जैसे यूरीन के बहाव को कंट्रोल करना और प्रजनन के लिए सीमेन बनाना। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह ग्रंथि बढ़ने लगती है। इस ग्रंथि का अपने आप में बढ़ना ही हानिकारक होता है और इसे बीपीएच (Benign Prostatic Hyperplasia) कहते हैं।

प्रोस्टेट ग्रंथि के ज्यादा बढ़ जाने से मूत्र उत्सर्जन की परेशानी हो जाती है। ग्रंथि के आकार में वृद्धि हो जाने पर मूत्र नलिका अवरुद्ध हो जाती है और यही पेशाब रुकने का कारण बनती है। प्रोस्टेट ग्रंथि के आकार में वृद्धि होने का कारण स्पष्ट नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ पुरुषों के शरीर में होने वाला हार्मोन का परिवर्तन एक कारण हो सकता है।

प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर के लक्षण - Prostate disorder Symptoms in Hindi

  • अंडकोषों में दर्द उठता रहता है।
  • ऐसा महसूस होता है कि पेशाब आ रहा है लेकिन बाथरूम में जाने पर बूंद-बूंद या रुक-रुक कर पेशाब होता है।
  • जल्दी जल्दी पेशाब होना।
  • पेशाब करने के बाद भी मूत्र की बूंदे टपकती रहती हैं, यानि मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता।
  • पेशाब करने में कठिनाई महसूस होना।
  • पेशाब की धार चालू होने में विलंब होना।
  • पेशाब में जलन महसूस होती है।
  • मूत्र की कुछ मात्रा मूत्राषय में शेष रह जाती है, इस शेष रहे मूत्र में रोगाणु पनपते हैं।
  • रात को कई बार पेशाब के लिये उठना।

प्रोस्टेट डिस्ऑर्डर का इलाज - Prostate disorder Treatment in Hindi

प्रोस्टेट ग्रंथि में वृद्धि होने पर मरीज़ को चिकित्सकीय उपचार की आवश्यकता होती है। मूत्र थैली के लगातार भरे रहने से गुर्दों पर दबाव बढ़ जाता है, जिससे इनके खराब होने का ख़तरा पैदा हो जाता है। रोग की प्रारंभिक अवस्था में दवाओं द्वारा ग्रंथि की वृद्धि को कम करने का प्रयास किया जाता है। कुछ मरीज़ों को दवाइयों से कोई लाभ नहीं होता, ऐसी स्थिति में शल्यक्रिया करके रोगी के शरीर से प्रोस्टेट ग्रंथि निकाल दी जाती है। चिकित्सा की आधुनिक पद्धति से कम से कम चीर-फाड़ व रक्त-स्राव द्वारा प्रोस्टेट ग्रंथि की बीमारी का इलाज संभव है। ऐसी ही एक आधुनिक तकनीक है लेज़र किरणों से प्रोस्टेक्टॉमी।

लेजर प्रोस्टेक्टॉमी - Laser Prostatectomy

इसमें लेजर किरणों के माध्यम से प्रोस्टेट ग्रंथि के उस हिस्से को काटकर अलग कर दिया जाता है जिससे मूत्र नलिका का मार्ग अवरूद्ध हो रहा था। लेज़र प्रोस्टेक्टॉमी में एक फाइबर ऑप्टिक टेलीस्कोप दूरबीन को मरीज़ के मूत्रद्वार से मूत्राशय की ओर भेजा जाता है। यहां प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़े हुए हिस्से को काटकर निकाल दिया जाता है और प्रोस्टेट के टुकड़े को मूत्राशय में धकेल दिया जाता है। मूत्रमार्ग में नली डाल दी जाती है जिससे मूत्र उत्सर्जन निर्बाधित रूप से होता रहता है। मूत्राशय में धकेले गए ग्रंथि के बचे हुए हिस्सों को वहां से निकाल दिया जाता है।

प्रोस्टेट के न टुकड़ों को पैथोलॉजी (Pathology) जांच के लिए भेजा जाता है जहां ग्रंथि के आकार में वृद्धि के कारणों की जांच की जाती है। प्रोस्टेट ग्रंथि के लेज़र सर्जरी से निकालने के बाद पेशाब करने की बढ़ी आवृत्ति, तीव्र इच्छा व मूत्राशय पूर्णत: खाली न होने जैसी शिकायतें दूर हो जाती हैं और मूत्र का प्रवाह भी ठीक हो जाता है।

प्रोस्टेट ग्रंथि को हटाने से क्या समस्या आ सकती है? - Problems to Remove Prostate Gland in Hindi

प्रोस्टेट ग्रंथि के स्राव से शुक्राणुओं को पोषण और सुरक्षा मिलती है। शल्यक्रिया द्वारा ग्रंथि को निकाल दिए जाने पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडता क्योंकि प्रोस्टेट के अलावा सेमाइनल वेसिकल्स (Seminal vesicles) भी इस कार्य को करती है।

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