Rajasthan: राजा महाराजाओं के ऐतिहासिक शासन का गवाह, राजपूतों का गढ़ राजस्थान; जानें राज्य का राजनीतिक इतिहास?

Rajasthan: राजा महाराजाओं के शासन की झलक, राजपूतों की वीरता और प्रदेश की सुंदरता को संजोये राजस्थान के इतिहास राजनीति पर एक नजर। राजस्थान की स्थापना से लेकर अब तक कितना बदला राज्य?
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राजस्थान, रफ़्तार डेस्क। राजस्थान की स्थापना 30 मार्च 1949 को हुई थी। हालांकि सरदार पटेल ने राजस्थान के गठन की औपचारिक घोषणा 14 जनवरी 1949 को उदयपुर में ही कर दी थी। लेकिन जयपुर के जाने माने विद्वानों ने राजस्थान की स्थापना के लिए दिन को शुभ मुहूर्त के हिसाब से तय करने का निर्णय लिया। जिसके लिए विद्वानों ने 30 मार्च, 1949 को सुबह 10:40 बजे का समय तय किया था। भारत सरकार ने 30 मार्च 1949 को राजमहल पैलेस में बहुत बड़ा समारोह रखा, जिसमे सरदार पटेल सहित कई नामी हस्तियों ने भाग लिया। लेकिन इस समारोह में आम लोगो के प्रवेश की इजाजत नहीं थी। लेकिन जो भी हो यह दिन इस समारोह के साथ राजस्थान के इतिहास में स्थापना दिवस के रूप में दर्ज हो गया।

राजपूताना के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान

इतना आसान नहीं था राजस्थान बनाना, इसमें सरदार पटेल ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। स्वत्रंतता से पहले राजस्थान को राजपूताना के नाम से जाना जाता था। उस समय राजपूताना में 19 रियासतें और 3 ठिकाने हुआ करते थे। बहुत ही समझदारी से इन रियासतों और ठिकानों को समझाया गया और उनका एकीकरण करके 30 मार्च 1949 को राजस्थान बना दिया गया। राजस्थान का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। राजस्थान बन जाने से सभी भारतीयों और विदेशी सैलानियों को इसके गौरव, संस्कृति, पर्यटन और इतिहास की जानकारी और दर्शन इस राज्य में हो जाते हैं। पर्यटन के क्षेत्र में तो राजस्थान सबसे अग्रणी है।

राजस्थान के कुछ चर्चित पर्यटन स्थल

राजस्थान अपने गौरवशाली इतिहास के साथ साथ पर्यटन के लिए काफी चर्चित है। यहाँ पर्यटन के दौरान आपको हर भ्रमण स्थल पर गौरव इतिहास की छाप मिलेगी। राजस्थान में बहुत से भ्रमण स्थल है। जिनमे से कुछ इस प्रकार हैं, हवा महल, सिटी पैलेस जयपुर, जल महल, फ़तेह सागर लेक, चित्तौरगढ़ किला, अंबर पैलेस, मेहरानगढ़ म्यूजियम और ट्रस्ट, सिटी पैलेस उदयपुर, पिचोला लेक, जंतर मंतर, उमेद भवन पैलेस, कुंभलगढ़ किला, जैसलमेर किला, नाहरगढ़ किला, जयगढ़ किला, रामबाग पैलेस, जसवंत थड़ा, सज्जनगढ़ मानसून पैलेस, रणथम्बोर किला,अल्बर्ट हॉल म्यूजियम, जूनागढ़ किला, पुष्कर लेक, सहेलियों की बारी, गड़ीसर लेक, डेजर्ट नॅशनल पार्क, आनासागर लेक, विजय स्तंभ चित्तौरगढ़, गुरु शिखर, ढेबर लेक, अचलगढ़ किला, घंटा घर, मन सागर लेक, माउंट अबू, मंडोर गार्डन, भारतीय लोक कला मंडल, खिमसर किला आदि।

राजस्थान की राजनीतिक संरचना

राजस्थान में कुल 200 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र की सीट है। और इसमें कुल 25 लोकसभा और 10 राज्यसभा की सीटें हैं। सांख्यिकी विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान की कुल जनसंख्या 78,230,816 है, जिनके विकास की जिम्मेदारी प्रदेश और देश में सत्ता पर काबिज राजनेताओं की ही होती है। इसलिए अपने नेता को चुनते समय हमे अपने मत का बहुत ही समझदारी से प्रयोग करना चाहिए।

राजस्थान में अब तक कुल 14 मुख्यमंत्री रहें।

सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल का ब्यौरा:-

  • श्री हीरा लाल शास्त्री का कार्यकाल 7 अप्रेल 1949 से 5 जनवरी 1951 तक

  • श्री सी एस वेंकटाचारी का कार्यकाल 6 जनवरी 1951 से 25 अप्रेल 1951 तक

  • श्री जय नारायण व्यास का कार्यकाल 26 अप्रेल 1951 से 3 मार्च 1952 तक

  • श्री टीका राम पालीवाल का कार्यकाल 3 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1952 तक

  • श्री जय नारायण व्यास का कार्यकाल 1 नवम्बर 1952 से 12 नवम्बर 1954 तक

  • श्री मोहन लाल सुखाड़िया का कार्यकाल 13 नवम्बर 1954 से 11 अप्रेल 1957 तक

  • श्री मोहन लाल सुखाड़िया का कार्यकाल 11 अप्रेल 1957 से 11 मार्च 1962 तक

  • श्री मोहन लाल सुखाड़िया का कार्यकाल 12 मार्च 1962 से 13 मार्च 1967 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 13 मार्च 1967 से 26 अप्रेल 1967 तक

  • श्री मोहन लाल सुखाड़िया का कार्यकाल 26 अप्रेल 1967 से 9 जुलाई 1971 तक

  • श्री बरकतुल्लाह खान का कार्यकाल 9 जुलाई 1971 से 11 अगस्त 1973 तक

  • श्री हरिदेव जोशी का कार्यकाल 11 अगस्त 1973 से 29 अप्रेल 1977 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 29 अगस्त 1973 से 22 जून 1977 तक

  • श्री भैरोंसिंह शेखावत का कार्यकाल 22 जून 1977 से 16 फरवरी 1980 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 16 मार्च 1980 से 6 जून 1980 तक

  • श्री जगन्नाथ पहाड़िया का कार्यकाल 6 जून 1980 से 13 जुलाई 1981 तक

  • श्री शिवचरण माथुर का कार्यकाल 14 जुलाई 1981 से 23 फरवरी 1985 तक

  • श्री हीरा लाल देवपुरा का कार्यकाल 23 फरवरी 1985 से 10 मार्च 1985 तक

  • श्री हरिदेव जोशी का कार्यकाल 10 मार्च 1985 से 20 जनवरी 1988 तक

  • श्री शिवचरण माथुर का कार्यकाल 20 जनवरी 1988 से 4 दिसम्बर 1989 तक

  • श्री हरिदेव जोशी का कार्यकाल 4 दिसम्बर 1989 से 4 मार्च 1990 तक

  • श्री भैरोंसिंह शेखावत का कार्यकाल 4 मार्च 1990 से 15 दिसम्बर 1992 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 15 दिसम्बर 1992 से 4 दिसम्बर 1993 तक

  • श्री भैरोंसिंह शेखावत का कार्यकाल 4 दिसम्बर 1993 से 29 दिसम्बर 1998 तक

  • श्री अशोक गहलोत का कार्यकाल 1 दिसम्बर 1998 से 8 दिसम्बर 2003 तक

  • श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया का कार्यकाल 8 दिसम्बर 2003 से 11 दिसम्बर 2008 तक

  • श्री अशोक गहलोत का कार्यकाल 12 दिसम्बर 2008 से 13 दिसम्बर 2013 तक

  • श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया का कार्यकाल 13 दिसम्बर 2013 से 16 दिसम्बर 2018 तक

  • श्री अशोक गहलोत का कार्यकाल 17 दिसम्बर 2018 से पदस्थ

प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री का कार्यभार स्वत्रंतता सेनानी को मिला

हीरालाल शास्त्री स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उनका जन्म जयपुर जिले के जोबनेर में एक किसान परिवार में हुआ था। समाजसेवा उनके दिल में कूट-कूट कर भरी थी। उनसे दीन-दुखियों का दुःख देखा नहीं जाता था, जिसके लिए उन्होंने बहुत से समाज सेवा के कार्य किये। उन्होंने 1921 में जयपुर राज्य सेवा में शामिल होकर अपनी सेवा दी थी, उन्होंने प्रशासनिक सेवा में काफी मेहनत की और अपने अच्छे कार्यो की छाप छोड़ी। 1927 को उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और अपने बचपन के सपने को पूरा करने के लिए जयपुर से 45 मील दूर एक सुदूर और पिछड़े गाँव बनस्थली को चुना और अपनी समजसेवा का कार्य वहां से शुरू किया। उन्होंने दीन-दुखियों की काफी सेवा की। उन्होंने अपनी बेटी शांताबाई की याद में गाँव में एक गर्ल्स स्कूल की स्थापना की, उनकी बेटी की छोटी सी उम्र में ही मृत्यु हो गयी थी। आज यह स्कूल, वनस्थली विद्यापीठ नाम से देश की बड़ी गर्ल्स यूनिवर्सिटी बन गयी है। हीरालाल शास्त्री को उनके समाज सेवा और देश के स्वत्रंतता संग्राम में भाग लेने की वजह से प्रदेश(राजस्थान) के प्रथम मुख्यमंत्री का कार्यभार सौपा गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।

वह मुख्यमंत्री जो देश के उपराष्ट्रपति तक का सफर तय किया

भैरोंसिंह शेखावत एक किसान के बेटे थे। उनका जन्म राजस्थान के सीकर जिले के गांव खाचरियावास के एक राजपूत परिवार में हुआ था। उनका परिवार काफी गरीब था, जिसके कारण उनका बचपन संघर्षपूर्ण रहा। वह पढ़ने में होशियार थे, हाई स्कूल की पढाई पूरी की। लेकिन पिता की मृत्यु हो जाने के कारण, घर की सारी आर्थिक जिम्मेदारी उनके कंधो में आ जाने के कारण, वह अपनी कॉलेज की पढाई पूरी नहीं कर सके। उन्होंने किसानी के साथ साथ पुलिस उप-निरीक्षक की नौकरी भी की। समाजसेवा में रूचि होने के कारण, कुछ साल पुलिस की नौकरी करने के बाद इस्तीफा दे दिया। पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ ज्वाइन कर लिया। वर्ष 1952 के बाद से शेखावत ने 10 विधानसभा के चुनाव लड़े और 9 बार जीत दर्ज की थी। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उन्होंने हर बार अलग अलग विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

प्रदेश में सती प्रथा पर पूरी तरह लगा प्रतिबंध

उन्होंने अपनी राजनितिक पारी में बहुत ही अच्छे कार्य किये। शेखावत ने अंत्योदय योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सबसे गरीब लोगो का विकास करना था। विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट मैकनामारा ने भी उनकी तारीफ़ की थी और शेखावत को भारत का रॉकफेलर कहा था। यही नहीं 1987 में जब 18 साल की लड़की 'रूप कंवर; को सती मानकर जला दिया था, तब शेखावत ने वोटबैंक की परवाह किये बिना सती प्रथा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया था। उनकी नौकरशाही और पुलिस पर काफी अच्छी पकड़ थी। उनके कार्यो को राज्य स्तर से लेकर केंद्र की सत्ता तक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक हर किसी ने खूब सराहा था। 1980 में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी और अपनी राजनीतिक पारी जारी रखी। बीजेपी ने शेखावत के शानदार राजनीतिक रिकॉर्ड को देखते हुए, उन्हें वर्ष 2002 में उपराष्ट्रपति के लिए नामांकन किया था, जिसमे उनका चयन हुआ और वह देश के 11 वें उपराष्ट्रपति बने। शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री का तीन बार कार्यकाल संभाला था।

राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री

वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी की वरिष्ठ नेता हैं। वह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिन्हे प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म मुंबई में हुआ था। उन्होंने अर्थशास्‍त्र और राजनीतिक शास्‍त्र में क्रमश: स्‍नातक एवं परास्‍नातक की पढाई मुंबई से की। वह 1984 में अपने गृह राज्‍य राजस्थान लौटी और इसी वर्ष उन्होंने बीजेपी की सदस्यता लेकर अपनी राजनीति की शुरुआत की। उन्होंने 1984 में मध्यप्रदेश के भिडं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा, उस समय कांग्रेस को इंदिरा गाँधी की हत्या की वजह से जनता की तरफ से सहानुभूति मिली हुई थी। उन्होंने 1985-89 तक राजस्थान विधान सभा में विधायक का कार्यभार भी संभाला था।

वाजपेयी मंत्रिमंडल में मिली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

वह अपना कार्य बढ़िया ढंग से करती रही और पार्टी को समर्पित रही, जिसे देखते हुए 1998-1999 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया था। वसुंधरा राजे को अक्टूबर 1999 में फिर से केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री के तौर पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया और बीजेपी में उनकी छवि एक अच्छे राजनेता के रूप में उभर कर आयी। जिसके कारण भाजपा की चयनित समिति ने उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए दावेदार बनाया और वसुंधरा राजे जीत दर्ज कर प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी। उन्होंने राजस्थान में मुख्यमंत्री के दो कार्यकाल 2003-2008 और 2013-2018 तक अपना कार्यभार संभाला था। उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत ही बढ़िया कार्य किये। लेकिन राजस्थान विधानसभा 2023 में बीजेपी ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया है। राजस्थान बीजेपी में आज भी उनकी छवि एक अच्छी राजनेता की है।

राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री

अशोक गहलोत इस बार भी सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से अपना चुनाव लड़ेंगे, यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। अशोक गहलोत 1998 से निरंतर यहां से अपनी जीत दर्ज करते आ रहे हैं। उन्हें अपने राजनीतिक कौशल के लिए जाना जाता है, जिसके कारण उनके पार्टी के लोग उन्हें प्यार से जादूगर भी कहते है। वैसे तो उनके पिता भी एक जादूगर थे, जो देश भर में घूम घूम कर अपना करतब दिखाते थे। अशोक गहलोत ने भी अपने विद्यार्थी जीवन के समय में पिता का जादूगरी के कार्य में साथ दिया था। लेकिन राजनीति में उनका नाम जादूगर, उनकी राजनीतिक कौशल के कारण ही पड़ा है। वे कट्टर गांधीवादी हैं। उनके विचारो से ही प्रेरित होकर उन्होंने अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्य करना शुरू कर दिया था। अशोक गहलोत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(आईएनसी) के वरिष्ठ नेता हैं। वह वर्तमान मे राजस्थान के मुख्यमंत्री है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 25 नवंबर को होने है, जिसके लिए सभी दलो ने खूब मेहनत की है और अपने मुद्दों को जनता के सम्मुख रखा है। इस विधानसभा चुनाव मे अशोक गहलोत राजस्थान कांग्रेस के मुख्यमंत्री के चेहरा हैं। कांग्रेस उनकी योजनाओ और लम्बे राजनीतिक अनुभव को विधानसभा चुनाव में भुनाना चाहती है।

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