MP Election: जाने मामा के नाम से प्रसिद्ध, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक गणित

MP News: बीजेपी ने नहीं बनाया किसी को एमपी वि.स चुनाव का भावी मुख्यामंत्री का दावेदार, क्या मध्य प्रदेश में फिर से मुख्यमंत्री बन पाएंगे शिवराज सिंह चौहान
Shri Shivraj Singh Chouhan
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मध्य प्रदेश, रफ्तार डेस्क। पांच राज्यों के आगामी चुनाव, अपने जोर शोर पर हैं। सभी राजनीतिक दल जनता को अपने चुनावी मुद्दों से अवगत करा रहे हैं। सभी की पांच राज्यों में चल रही चुनावी तैयारी की योजनाओ पर ध्यान केन्द्रित है। इसी बीच मध्य प्रदेश के चुनाव में भी सभी की बड़ी रूचि है। बीजेपी, कांग्रेस, सपा आदि दल अपने दम ख़म से अपनी अपनी पार्टी को जीत दिलवाने के लिए पूरा प्रयास कर रहे हैं। मध्य प्रदेश से शिवराज सिंह चौहान काफी चर्चा में हैं। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मुख्यमंत्रियों में से एक हैं। वे वर्तमान में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। एम पी के 17 नवंबर को होने वाले चुनाव में बीजेपी से मुख्यमंत्री के दावेदार शिवराज सिंह चौहान हो सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान को बुधनी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने टिकट दिया है। चुनाव की तैयारी पूरे जोर शोर से चल रही थी। सभी दलों ने अपने मुद्दे जनता के सम्मुख रखें। शिवराज सिंह ने बड़ी मजबूती से चुनावी रैली के माध्यम से जनता के सामने चुनावी मुद्दे रखें। आइये शिवराज सिंह चौहान के पूरे राजनीतिक सफर के बारें में जाने।

प्रोफाइल पर एक नजर

नाम :- शिवराज सिंह चौहान

जन्म :- 5 मार्च 1959

जन्म स्थान :- बुधनी, मध्य प्रदेश

शिक्षा :- दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ स्नाकोत्तर

राजनीतिक यात्रा की शुरुआत :- शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे, तब से इसमें अपनी निरंतर सेवा दे रहे हैं। समाजसेवा में अपनी रूचि के कारण वर्ष 1975 में, उन्होंने मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी रखी और अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। वर्ष 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के आयोजन सचिव बने थे।

शिवराज सिंह चौहान का जन्म, शिक्षा और परिवार का विवरण

शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को मध्य प्रदेश के बुधनी जिला में हुआ था। उनके माता का नाम सुंदरबाई चौहान और पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान था। उनका विवाह 5 मई 1992 को साधना सिंह के साथ हुआ, जिससे उनके दो बेटे हैं।

उनकी शिक्षा भोपाल से हुई। उन्होंने भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ स्नाकोत्तर की पढाई करी। उनकी स्कूली शिक्षा मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालय से हुई।

उनकी राजनीतिक यात्रा

शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे, तब से इसमें अपनी निरंतर सेवा दे रहे हैं। समाजसेवा में अपनी रूचि के कारण वर्ष 1975 में, उन्होंने मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी रखी और अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। वर्ष 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के आयोजन सचिव बने थे। वर्ष 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के संयुक्त सचिव चुने गये। वर्ष 1980 में, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के महासचिव चुने गए। वर्ष 1982 में, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने थे। वर्ष 1984 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेयूएम) के संयुक्त सचिव चुने गए । वर्ष 1985 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेयूएम) के महासचिव बने। वर्ष 1988 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेयूएम) के अध्यक्ष चुने गए। वर्ष 1990 में शिवराज सिंह पहली बार बुधनी संसदीय क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे। वर्ष 1991 में,10 वें लोकसभा चुनाव में विदिशा विधानसभा क्षेत्र से पहली बार सांसद चुने गए थे। वर्ष 1991 से 92 के दौरान वह अखिल भारतीय क्षत्रिय वाहिनी में संयोजक के रूप में कार्यरत थे।

वर्ष 1993 और 1996 में वह श्रम और कल्याण समिति के सदस्य बने रहे। वर्ष 1996 में, शिवराज दोबारा बुधनी निर्वाचन क्षेत्र से 11 वीं लोकसभा में सांसद चुने गए थे। वर्ष 1998 के आम चुनाव में वह अपने निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बने। वर्ष 1999 - 2000 में, चौहान कृषि समिति के सदस्य रहे और वर्ष 1999 से 2001 में वह सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य के रूप में कार्यरत थे। वर्ष 2000 से 2003 तक, वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। वर्ष 2000 में, शिवराज चौहान संचार मंत्रालय के परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे थे। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में, शिवराज पांचवी बार सांसद चुने गए। नवंबर 2005 में, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने अगले साल बुधनी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

वर्ष 2008 में, चौहान ने मध्य प्रदेश में भाजपा की जीत का नेतृत्व करते हुए, अपनी बुधनी सीट को बरकरार रखा। और उसी वर्ष अपने दूसरे कार्यकाल में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। वर्ष 2013 में, फिर से बुधनी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज करते हुए, उन्होंने लगातार तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। 2018 में बुधनी से फिर से विधायक चुने गए। वर्तमान में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

शिवराज सिंह चौहान को मामा के नाम से जानती है जनता

उनका झुकाव शुरू से ही समाजसेवा में रहा, जिसकी शुरुवात उन्होंने मॉडल स्कूल छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में 1975 से की। आपातकाल के दौरान भूमिगत आंदोलन से जुड़े और जेल भी गए. उन्हें मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। उनके कार्यकाल की गांव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा एवं जननी प्रसव योजना, स्‍वागतम लक्ष्‍मी योजना, ऊषा किरण योजना, तेजस्विनी, वन स्‍टॉप क्राइसिस सेंटर, लाडो अभियान आदि प्रमुख हैं।

शिवराज सिंह चौहान को मामा के नाम से भी जाना जाता है. उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से मामा कहते हैं।

अब जहां मध्य प्रदेश मे चुनाव की तैयारी अपने पूरे जोर पर है, वहीं सभी दल अपनी जीत के लिए पूरा दम ख़म लगा रहें हैं। मध्य प्रदेश में अपना एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड बनाने के बावजूद, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के सीधे दावेदार नहीं हैं। उनके लम्बे अनुभव को भुलाया नहीं जा सकता है। दावेदारी के हक़दार कोई भी हो, शिवराज सिंह चौहान अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए मैदान में लगे हुए हैं।

इन विवादों से जुड़ा शिवराज सिंह का नाता

मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी साधना सिंह के खिलाफ 2007 में "डम्पर घोटाले" का आरोप

व्यापम भर्ती घोटाला

राज्य से बाहर के लोगों को मध्य प्रदेश में काम ना करने देने के विवादास्पद बयान

2018 में, सरदारपुर रैली के दौरान सार्वजनिक रूप से अपने अंगरक्षक को थप्पड़ मारा।

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