भारत का दिल मध्यप्रदेश! पर्यटन और ऐतिहासिक धरोहरों में है खास, जाने क्या है इस राज्य का राजनीतिक इतिहास?

Madhya Pradesh News: भारत का दिल मध्यप्रदेश, स्वत्रंतता सेनानियों को प्रदेश की राजनीति में सत्ता तक पहुंचाने वाला ऐतिहासिक राज्य। 1 नवंबर, 1956 को नया राज्‍य मध्‍यप्रदेश की स्थापना हुई।
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मध्यप्रदेश, रफ्तार डेस्क। आज़ादी से पहले देश में बहुत सी छोटी बड़ी रियासते और देशी राज्य विधमान थे। 15 अगस्त 1947 के बाद छोटी बड़ी सभी रियासतों को मिलाकर एक पूर्ण भारत बनाने का अभियान चला था। देश में 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के दूसरे साल 1951 में पहले आम चुनाव कराये गए, जिसकी वजह से संसद और मण्डल कार्यशील हुए। प्रशासन को अपना कार्य सुचारु रूप से चलाने के लिए, इन्हे श्रेणियों में बाटां गया था। वर्ष 1956 में राज्यों को एक करने के सफल अभियान के कारण 1 नवंबर, 1956 को नया राज्‍य मध्‍यप्रदेश की स्थापना हुई। इससे पहले राज्य मध्‍यप्रदेश, मध्‍यभारत, विन्‍ध्‍य प्रदेश एवं भोपाल थे, जिनकी अपनी विधान सभाएं थीं, जो मध्य प्रदेश राज्य बनने के कारण एक हो गए। आख़िरकार 1 नवंबर, 1956 को पहली मध्‍यप्रदेश विधान सभा अस्तित्‍व में आई। जिसका पहला और अंतिम अधिवेशन 17 दिसम्‍बर 1956 से 17 जनवरी 1957 के बीच संपन्‍न हुआ।

मध्य प्रदेश, भारत का हृदय

मध्य प्रदेश को भारत का हृदय कहा जाता है। मध्य प्रदेश अपने पर्यटन, ऐतिहासिक धरोहरों, अपनी शास्त्रीय और लोक संगीत के लिए विख्यात है। मध्य प्रदेश के 3 स्थलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है, जिनमे खजुराहो , सांची बौद्ध स्मारक, और भीमबेटका की रॉक शेल्टर शामिल हैं।

मध्य प्रदेश की राजनीतिक संरचना

मध्य प्रदेश के राजनीतिक संरचना को समझना भी बहुत जरुरी है। मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या 7,26,26,809 है, जिनके विकास की जिम्मेदारी सत्ता में काबिज राजनीतिक दलों की है। प्रदेश की जनता को इस संरचना को समझ कर ही अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिए। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें, विधान सभा की 230 सीटें और राज्य सभा की 11 सीटें है।

मध्य प्रदेश में अब तक कुल 18 मुख्यमंत्री प्रदेश में अपनी सेवा दे चुके हैं। सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल का ब्यौरा

  • श्री रविशंकर शुक्ल का कार्यकाल 01.11.1956 से 31.12.1956 तक

  • श्री भगवन्त राव मण्डलोई का कार्यकाल 01.01.1957 से 30.01.1957 तक

  • श्री कैलाश नाथ काटजु का कार्यकाल 31.01.1957 से 14.04.1957 तक

  • श्री कैलाश नाथ काटजु का कार्यकाल 15.04.1957 से 11.03.1962 तक

  • श्री भगवन्त राव मण्डलोई का कार्यकाल 12.03.1962 से 29.09.1963 तक

  • श्री द्वारका प्रसाद मिश्रा का कार्यकाल 30.09.1963 से 08.03.1967 तक

  • श्री द्वारका प्रसाद मिश्रा का कार्यकाल 09.03.1967 से 29.07.1967 तक

  • श्री गोविन्द नारायण सिंह का कार्यकाल 30.07.1967 से 12.03.1969 तक

  • श्री राजा नरेशचन्द्र सिंह का कार्यकाल 13.03.1969 से 25.03.1969 तक

  • श्री श्यामाचरण शुक्ल का कार्यकाल 26.03.1969 से 28.01.1972 तक

  • श्री प्रकाश चन्द्र सेठी का कार्यकाल 29.01.1972 से 22.03.1972 तक

  • श्री प्रकाश चन्द्र सेठी का कार्यकाल 23.03.1972 से 22.12.1975 तक

  • श्री श्यामाचरण शुक्ल का कार्यकाल23.12.1975 से 29.04.1977 तक

  • राष्ट्रपति शासन 30.04.1977 से 25.06.1977 तक

  • श्री कैलाश चन्द्र जोशी का कार्यकाल 26.06.1977 से 17.01.1978 तक

  • श्री विरेन्द्र कुमार सखलेचा का कार्यकाल 18.01.1978 से 19.01.1980 तक

  • श्री सुन्दरलाल पटवा का कार्यकाल 20.01.1980 से 17.02.1980 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 18.02.1980 से 08.06.1980 तक

  • श्री अर्जुन सिंह का कार्यकाल 09.06.1980 से 10.03.1985 तक

  • श्री अर्जुन सिंह का कार्यकाल 11.03.1985 से 12.03.1985 तक

  • श्री मोती लाल वोरा का कार्यकाल 13.03.1985 से 13.02.1988 तक

  • श्री अर्जुन सिंह का कार्यकाल 14.02.1988 से 24.01.1989 तक

  • श्री मोती लाल वोरा का कार्यकाल 25.01.1989 से 08.12.1989 तक

  • श्री श्यामाचरण शुक्ल का कार्यकाल 09.12.1989 से 04.03.1990 तक

  • श्री सुन्दरलाल पटवा का कार्यकाल 05.03.1990 से 15.12.1992 तक

  • राष्ट्रपति शासन का कार्यकाल 16.12.1992 से 06.12.1993 तक

  • श्री दिग्विजय सिंह का कार्यकाल 07.12.1993 से 01.12.1998 तक

  • श्री दिग्विजय सिंह का कार्यकाल 01.12.1998 से 08.12.2003 तक

  • सुश्री उमा भारती का कार्यकाल 08.12.2003 से 23.08.2004 तक

  • श्री बाबूलाल गौर का कार्यकाल 23.08.2004 से 29.11.2005 तक

  • श्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल 29.11.2005 से 12.12.2008 तक

  • श्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल 12.12.2008 से 13.12.2013 तक

  • श्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल 14.12.2013 से 16.12.2018 तक

  • श्री कमल नाथ का कार्यकाल 17.12.2018 से 22.03.2020 तक

  • श्री शिवराज सिंह चौहान का कार्यकाल 23.03.2020 से निरंतर

मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना होते ही प्रदेश में मुख्यमंत्री का पदभार संभालने वाले स्वत्रंतता सेनानी

रविशंकर शुक्ल

श्री रविशंकर शुक्ल के परिवार ने तीन पीढ़ियों तक ब्रिटिश शासन का विरोध किया था। वे पेशे से एक वकील थे, लेकिन सामाजिक सेवा में उनकी रूचि थी। उन्होंने महात्मा गांधी के अहसयोग आंदोलन में भाग लिया और राजनीति में सक्रीय हो गए थे, इसके लिए उन्हें अपनी वकालत भी छोड़नी पड़ी थी। गाँधी जी के अहसहयोग आंदोलन में शामिल होने और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें गिरफ़्तार किया गया। उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उनपर उस वक्त 500 रूपए का जुर्माना भी लगाया गया था। ब्रिटिश प्रशासन ने वकीलों की सूची से उनका नाम हटा दिया था। ब्रिटिश प्रशासन को कुछ समय बाद उनका नाम फिर से वकीलों की सूचि में शामिल करना पड़ा था। वे एक भारतीय स्वंत्रतता सेनानी भी थे। जब राज्‍य पुर्नगठन के पश्‍चात् मध्‍यप्रदेश का निर्माण 1 नवम्‍बर 1956 को हुआ था, तो सर्वसम्‍मति से वे मध्य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बनाये गये। वे भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रस के राजनेता थे।

भगवन्त राव मण्डलोई

श्री भगवन्त राव मण्डलोई भी प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री की भांति भारतीय स्वंत्रतता सेनानी थे। इन्होने भी महात्मा गाँधी जी के व्यक्तिगत सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में भाषण देते हुए घंटाघर चौक से ही गिरफ्तार कर लिया गया था। ये भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे। इन्होने भी गाँधी जी के आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी वकालत छोड़ दी थी। मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री रविशंकर शुक्ल की मृत्यु के पश्चात्, श्री भगवन्त राव मण्डलोई को प्रदेश का कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया था। बाद में वे प्रदेश के मुख्यमंत्री भी बने। राष्ट्रपति ने उन्हें 1970 में पद्मभूषण से भी सम्मानित किया था।

कैलाश नाथ काटजु

श्री कैलाश नाथ काटजु भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे। ये भी पूर्व मुख्यमंत्री की भांति एक स्वंत्रतता सेनानी और वकील थे। इन्होने भी गाँधी जी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया था। जिसके कारण उन्हें बहुत समय तक जेल में रहना पड़ा था। देश आज़ाद होने के बाद इन्हे भी राजनीति में सक्रीय होने और अपने समाजसेवा के कार्यो के कारण मुख्यमंत्री का कार्यभार सँभालने का मौका मिला। वह उड़ीसा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल , केंद्रीय गृह मंत्री और केंद्रीय रक्षा मंत्री भी रहे थे। श्री कैलाश नाथ काटजु अपने समय के प्रसिद्ध वकील थे।

द्वारका प्रसाद मिश्रा

श्री द्वारका प्रसाद मिश्रा एक भारतीय स्वंत्रतता सेनानी थे। उन्होंने भारत के स्वंत्रतता आंदोलन में भाग लिया था। अपने समाजसेवा के कारण वे भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रस से जुड़े और राजनीति में अपने योगदान देते रहने के कारण उन्हे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार सौपा गया था, जिसको उन्होंने बखूबी निभाया। वे एक कवि, पत्रकार और साहित्यकार भी थे। उन्होंने जेल में रहने के दौरान 'कृष्णायन' महाकाव्य की रचना कर डाली थी। जिसमे उन्होंने कृष्ण के जन्म से लेकर स्वर्गारोहण तक की कथा को इस महाकाव्य में लिख डाला था। जवाहर नेहरू के साथ मतभेद के कारण उन्हें 13 वर्ष का राजनीति का वनवास झेलना पड़ा था। 1971 से उन्होंने राजनीति से अवकाश लेकर अपना सारा समय साहित्य को समर्पित कर दिया था।

मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री का पदभार संभाल चुके, मुख्यमंत्रियों में विधानसभा चुनाव 2023 में कड़ी टक्कर देने वाले वर्तमान प्रत्यासी

कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश

उन्होंने 1968 में युवक कांग्रेस से राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। वर्ष 1976 में उन्हें उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस का प्रभार मिला था। वह 1970 से 81 अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे।

मध्य प्रदेश में 15 महीने तक 18 वें मुख्यमंत्री का पदभार संभालने वाले कमल नाथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और हांलिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मुख्य चेहरा है। हालाकि उन्हें मध्य प्रदेश में 15 महीने की सरकार से राजनीतिक संकट के कारण मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बीजेपी को मध्य प्रदेश से सत्ता से बाहर कर, मुख्यमंत्री के पद में काबिज होने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं कमल नाथ। उन्हें मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2023 का टिकट दिया है।

कमलनाथ सिंह का पालन पोषण उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता महेंद्र नाथ ने फिल्मों के प्रदर्शन और वितरण, प्रकाशन, व्यापार पावर ट्रांसमिशन से जुड़ी फर्मों की स्थापना की थी। उनकी शिक्षा द दून स्कूल से हुई थी। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कमलनाथ सिंह, दून इंटरनेशनल स्कूल में संजय गाँधी के सहपाठी थे। कमलनाथ सिंह और संजय गाँधी को इंदिरा गाँधी के दो हाथ कहा जाता था।

वर्तमानं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

शिवराज सिंह चौहान वर्ष 1972 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे, तब से इसमें अपनी निरंतर सेवा दे रहे हैं। समाजसेवा में अपनी रूचि के कारण वर्ष 1975 में, उन्होंने मॉडल उच्च माध्यमिक विद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी रखी और अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। वर्ष 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के आयोजन सचिव बने थे।

उनका झुकाव शुरू से ही समाजसेवा में रहा, जिसकी शुरुवात उन्होंने मॉडल स्कूल छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में 1975 से की। आपातकाल के दौरान भूमिगत आंदोलन से जुड़े और जेल भी गए। उन्हें मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। उनके कार्यकाल की गांव की बेटी योजना, जननी सुरक्षा एवं जननी प्रसव योजना, स्‍वागतम लक्ष्‍मी योजना, ऊषा किरण योजना, तेजस्विनी, वन स्‍टॉप क्राइसिस सेंटर, लाडो अभियान आदि प्रमुख हैं।

शिवराज सिंह चौहान को मामा के नाम से भी जाना जाता है। उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से मामा कहते हैं। शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध मुख्यमंत्रियों में से एक हैं। वे वर्तमान में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शिवराज सिंह चौहान को बुधनी विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने टिकट दिया है।

अब जहां मध्य प्रदेश मे चुनाव की तैयारी अपने पूरे जोर पर है, वहीं सभी दल अपनी जीत के लिए पूरा दम ख़म लगा रहें हैं। मध्य प्रदेश में अपना एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड बनाने के बावजूद, शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के सीधे दावेदार नहीं हैं। उनके लम्बे अनुभव को भुलाया नहीं जा सकता है। दावेदारी के हक़दार कोई भी हो, शिवराज सिंह चौहान अपनी पूरी मेहनत और ईमानदारी से चुनाव में अपनी पार्टी को जीत दिलाने के लिए मैदान में लगे हुए हैं।

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