
मध्य प्रदेश, रफ्तार डेस्क। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी दल अपना लोहा मनाने के लिए एड़ी चोटी का दमखम लगा रहे है। बीजेपी ने मध्य प्रदेश में अपने 7 लोकप्रिय सांसदों को विधानसभा चुनाव का टिकट देकर राजनीति में खलबली मचा दी है। मध्य प्रदेश में सत्ता में आने के लिए सभी दल पूरी रणनीति के साथ मैदान में डटें हुए हैं। बीजेपी ने अपने सांसदों को मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 का टिकट देकर, बहुत बड़ा राजनीतिक दांव चला है। बीजेपी ने विपक्षी दलों की मुश्किलें बढ़ा डाली है। हालांकि विधानसभा चुनाव 2023 के परिणामो से ही पता चलेगा कि बीजेपी का दांव कितना कारगर रहा। आइये मध्य प्रदेश बीजेपी के उन 7 सांसदों के प्रोफाइल में से एक नरेंद्र सिंह तोमर के प्रोफाइल में नज़र डालें, जिन्हे प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए टिकट दिया गया है।
नरेन्द्र सिंह तोमर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं
नरेन्द्र सिंह तोमर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। बीजेपी ने उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दिमनी से मैदान में उतारा है। वे मुरैना से वर्तमान सांसद हैं। पार्टी ने यह निर्णय बड़े ही सोच विचार से लिया है। विपक्षी दलों के लिए बीजेपी के इस निर्णय ने मुश्किलें बड़ा दी है। वे एक किसान परिवार से आते हैं। उन्हें मुन्ना भैया के नाम से भी जाना जाता है।
प्रोफाइल पर एक नजर
नाम :- नरेन्द्र सिंह तोमर
जन्म :- 12 जून 1957
जन्म स्थान :- ग्वालियर, मध्य प्रदेश
शिक्षा :- स्नातक
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत :- वह महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। शिक्षा पूरी करने के बाद वे ग्वालियर नगर निगम के पार्षद पद पर निर्वाचित हुए थे। इसके बाद वे पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय रहे और आज राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बनाया है।
उनके जन्म, शिक्षा और परिवार का विवरण
नरेन्द्र सिंह तोमर का जन्म 12 जून 1957 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी सिंह तोमर और माता का नाम श्रीमती शारदा देवी तोमर था। है। उन्होंने मध्य प्रदेश से अपनी स्नातक की पढाई पूरी करी। और छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। उनकी पत्नी का नाम किरण है। उनके दो बेटे और एक बेटी है।
जयप्रकाश नारायण के देशव्यापी आन्दोलन में भाग लेने के कारण जीवन में आया बड़ा टर्निंग पॉइंट
उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं था। उनके जीवन में टर्निंग पॉइंट उस समय आया, जब उन्होंने जयप्रकाश नारायण के देशव्यापी आन्दोलन में भाग लिया। आपातकाल के दौरान कई दिग्गज नेताओ के साथ, नरेन्द्र सिंह तोमर ने भी इस आन्दोलन में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। उनकी पढाई भी छुट गई थी। वह अपने कॉलेज से छात्र संघ से तो जुड़े ही थे। आन्दोलन में सक्रीय होने और जेल जाने के कारण, उन्हें ग्वालियर से विधानसभा का चुनाव लड़ने का मौका मिला। हालाकि वह यह चुनाव 600 वोट से बाबू रघुवीर सिंह से हार गए थे। लेकिन इस चुनाव से नरेन्द्र सिंह तोमर एक अच्छे राजनेता के रूप में उभर के आये। जिसके बाद उन्हें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।
उनकी राजनीतिक यात्रा
उन्होंने 18 सितंबर 2020 - 7 जुलाई 2021 तक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था। 30 मई 2019 - 7 जुलाई 2021तक उन्होंने ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का कार्यभार संभाला था।
वे 30 मई 2019 से कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का कार्यभार संभाल रहे है। वह मई, 2019
17वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित (तीसरा कार्यकाल) हुए और लोकसभा के सांसद हैं।
उन्होंने 13 नवंबर 2018 - 25 मई 2019 तक ग्रामीण विकास; पंचायती राज; खान; और संसदीय कार्य में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला। 3 सितंबर 2017 - 25 मई 2019 तक ग्रामीण विकास; पंचायती राज; और खदानें में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री कपड़भर संभाला। 18 जुलाई 2017 - 3 सितंबर 2017 तक
आवास और शहरी मामले में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था।
उन्होंने 5 जुलाई 2016 - 3 सितंबर 2017 तक ग्रामीण विकास; पंचायती राज; और पेयजल एवं स्वच्छता में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था। 9 नवंबर 2014 - 5 जुलाई 2016 तक खान और इस्पात में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था। 27 मई 2014 - 9 नवंबर 2014 तक खान, इस्पात और श्रम एवं रोजगार में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला।
वे मई, 2014 को 16वीं लोकसभा के लिए पुनः निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल) हुए और लोकसभा सांसद बने थे। 31 अगस्त 2009 को रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति के सदस्य बने। वे 2009 को 15वीं लोकसभा के लिए चुने गए और लोकसभा सांसद बने। जनवरी 2009 - मई 2009 तक राज्य सभा के सदस्य का कार्यभार संभाला।
उन्होंने 20 नवंबर 2006 - मार्च 2010 तक भाजपा, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष का पदभार संभाला था। 2003 - 2007 तकउन्होंने मध्य प्रदेश सर्कार में कैबिनेट मंत्री का पदभार संभाला था। 1998 - 2008 तक मध्य प्रदेश विधान सभा (दो कार्यकाल) के सदस्य(विधायक) रहे। 1991 - 1996 तक भाजपावाईएफ, मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
उन्होंने 1986 - 1990 तक भाजपावाईएफ, मध्य प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष का पदभार संभाला था। 1984 - 1985 तक भाजपावाईएफ, मध्य प्रदेश के प्रदेश मंत्री का पदभार संभाला। उन्होंने 1983-87 तक नगर निगम, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में पार्षद का पदभार संभाला था।
वे 1980 - 1984 तक भारतीय जनता पार्टी युवा मंच (बीजेपीवाईएफ), ग्वालियर के अध्यक्ष रहे।
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