नई दिल्ली,रफ्तार डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस एकादशी का विशेष महत्व है। योगिनी एकादशी दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन विधि-विधान से विष्णु जी की पूजा करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। इस व्रत को करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के श्री चरणों में स्थान मिलता है। इस व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है। आइए जानते हैं इस व्रत की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में...
योगिनी एकादशी पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
स्नान आदि के बाद व्रत करने का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें और एकादशी कथा का पाठ करें।
कथा पूरी करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
एकादशी के दूसरे दिन ब्रह्मणों को भोजन कराएं।
शुभ मूहर्त
योगिनी एकादशी की शुरुआत 13 जून मंगलवार को सुबह 09 बजकर 28 मिनट से होगी। इस का समापन गले दिन 14 जून को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा। योगिनी एकादशी व्रत उदय तिथि के अनुसार 14 जून को रखा जाएगा।