
नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क: इस साल दुर्गा पूजा 15 अक्टूबर से शुरू होगी। दुर्गा पूजा की शुरुआत अश्वनी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। शारदीय नवरात्र पर्व का शुभारंभ 15 अक्टूबर 2023 से दिन रविवार के दिन होगा। वहीं देवी दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन विजयादशमी के दिन होता है। इसी दशमी के दिन प्रभु राम ने माता सीता को लंका से वापस लाने के लिए लंका के राजा लंकेशपति अहंकारी रावण का वध किया था। और तब से आज तक लोग इसी दिन रावण दहन कर बुराई पर अच्छाई का प्रतीक पर्व दशहरा मनाते है। आपको बता दें कि इस साल दशहरा यानी विजयदशमी का पर 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा इस बार दशहरा वृद्धि योग एवं रवि योग के साथ मनाया जाएगा। आईए जानते हैं। दशहरा का मनाने का शुभ मुहूर्त और इसके पीछे का महत्व।
दशहरा की सही तिथि
हर साल की तरह इस साल भी दशहरा अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 10वीं तिथि 23 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और 24 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 पर खत्म होगी। उदया तिथि के मुताबिक दशहरा 24 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
क्या है दशहरा का शुभ मुहूर्त
हम सब जानते हैं कि किसी भी शुभ पर्व को शुभ मुहूर्त पर ही मनाया जाना अच्छा माना जाता है इस तरह दशहरा में रावण और उसके भाइयों का दहन करने की परंपरा है। अगर रावण दहन शुभ मुहूर्त में किया जाए तो बहुत शुभ माना जाता है। इस वर्ष रावण दहन का शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर को 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगा और अगले ढाई घंटे तक रहेगा। समूचे भारत में रावण का पुतला अलग अलग विधि विधान से फूंका जाता है।
दशहरा का महत्व क्या है
ग्रंथो के मुताबिक दशहरा के दिन भगवान श्री राम ने लंका पति रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए इस दिन को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन रावण दहन भी किया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन सर्वशक्तिशाली मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था। और इस वजह से इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने शत्रुओं पर विजय पाने के लिए पूजा करते हैं। यह दशहरा का त्योहार हमेशा अच्छाई की जीत का प्रतीक रहा है।