नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्यायाधीश की उपाधि प्रदान की जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि शनि देव जातक को उसके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। वहीं, शनि को एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई वर्ष का समय लगता है। यह किसी भी ग्रह का सबसे लंबा पारगमन काल है। इस बीच, शनि का गोचर और उसकी चाल में परिवर्तन साधक को साढ़ेसाती का सामना करने के लिए मजबूर करता है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती को बुरा माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जिस व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़ेसाती चल रही होती है। उसे अनेक कष्टों से होकर गुजरना पड़ता है। शनि सती के कारण शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। आइए जानते हैं इस समय में शनि की साढ़ेसाती किन राशियों में अपनी कुंडली मार कर बैठने वाली है।
कब शुरू होती साढ़ेसाती ?
ज्योतिषियों का कहना है कि जब शनि कुंडली के पहले, दूसरे या 12वें भाव में होता है तो साढ़ेसाती की उत्पत्ति होती है। इसके साथ ही जब शनि जन्म के समय चंद्रमा के ऊपर से गुजरता है तो इसे शनि की साढ़ेसाती भी कहा जाता है। इस बात का ध्यान देना चाहिए कि साढ़े साती को तीन चरणों में बांटा गया है, जो हर ढाई साल में बदलते हैं।
इन राशियों कुंडली में चल रही साढ़ेसाती
कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। ज्योतिषियों के अनुसार यह अवस्था बहुत ही खतरनाक होती है। इस अवधि में व्यक्ति को बड़ी आर्थिक और व्यावसायिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मीन- मीन राशि वालों के अब शनि की साढ़ेसाती को झेलने का अब बस जून तक का समय है। उसके बाद यह प्रतिकूल समय टल जाएगा, लेकिन इस समय मीन राशि वालों को बेहद संभलकर रहने की जरूरत है। छोटी सी गलती के भी बड़े परिणाम हो सकते हैं।
मकर- मकर राशिफल में शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है। इस अवधि के दौरान, आर्थिक क्षेत्र में समस्याएं और परिवार के भीतर संघर्ष संभव है।