श्रावण अधिक मास की त्रयोदशी तिथि,रवि योग,विष्कम्भ योग के शुभ संयोग में शिवभक्त भोर की मंगला आरती के बाद से ही दरबार में दर्शन पूजन और जलाभिषेक के लिए कतार बद्ध हो रहे हैं।