Padmini Ekadashi 2023: जानिए क्यों मनाई जाती है पद्मिनी एकादशी ? क्या है इसके पीछे की कथा

पद्मिनी एकादशी का व्रत और पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए।
Padmini Ekadashi
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नई दिल्ली,रफ्तार डेस्क। इस वर्ष पद्मिनी एकादशी 29 जुलाई 2023, दिन शनिवार को है। इसे कमला एकादशी या पुरूषोत्तम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। यह एकादशी मलमास या कुछ महीनों में आती है। इस एकादशी का महत्व अधिक मास में होने से और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस माह के स्वामी श्री हरि विष्णु हैं और एकादशी तिथि भी भगवान को समर्पित है। ऐसे में पद्मिनी एकादशी का व्रत और पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा भी पढ़नी चाहिए। इस व्रत को करने से मनुष्य के सारें कष्ट दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है इस व्रत की कथा...

पौराणिक कथा

किंवदंतियों के अनुसार त्रेता युग में एक शक्तिशाली राजा कृतवीर्य थे। राजा की कई पत्नियां थीं लेकिन कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्ति की चाहत में राजा को अपनी रानियों के साथ कठोर तपस्या करनी पड़ी, लेकिन उन्हें अपनी तपस्या का फल नहीं मिल सका। इस बीच, रानी पद्मिनी माता ने अनुसूया से समस्या का समाधान करने को कहा। तब माता ने उसे राजा के साथ मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा।माता अनुसूया ने रानी पद्मिनी को बताया कि हर तीन साल में मलमास आता है।मलमास के शुक्ल पक्ष की पद्मिनी एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करने से शीघ्र ही यह मनोकामना पूरी होगी और भगवान विष्णु सहर्ष संतान प्राप्ति का वरदान देंगे। फिर जब मलमास आया तो रानी पद्मिनी एकादशी का व्रत कर रही थी। उस दिन कुछ खाना नहीं होता ना ही सोना होता है रात भर जागकर कीर्तन किया। रानी पद्मिनी ने इस व्रत को किया और भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति का अशीर्वाद प्राप्त किया। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से रानी गर्भवती हो गई और 9 महीने बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। यह पुत्र अत्यंत बलवान और पराक्रमी था। उनकी शक्ति का परचम तीनों लोकों में बढ़ गया। ऐसे में पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है और व्यक्ति स्वर्ग जाता है।

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