Sawan Mangla Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत से सावन महीने की शुरुआत, जानें महत्व और शुभ मुहूर्त

मंगला गौरी का व्रत और उसको करने के विधि विधान
 सावन के पहले दिन रखा जाता है मंगला गौरी व्रत, जानिए  इसके कुछ महत्व, तिथियां और पूजा करने की पूर्ण विधि
सावन के पहले दिन रखा जाता है मंगला गौरी व्रत, जानिए इसके कुछ महत्व, तिथियां और पूजा करने की पूर्ण विधि Social Media

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। सनातन धर्म में सावन के महीने को सबसे पवित्र महीनों में से एक माना गया हैं। इस पूरे महीने देवाधिदेव  महादेव को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्त तरह-तरह के उपाय करते हैं। सावन के महीने में कई व्रत और बहुत सारे त्यौहार भी  होते  हैं। ज्योतिषियों का अनुमान है कि इस साल का सावन 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू होगा। इस साल कई अनोखे संयोग देखने को मिले हैं। इस साल सावन में शिव पूजन के लिए भक्तों के पास आठ सोमवार होंगे।

उत्तर प्रदेश के अयोध्या के ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के अनुसार, सावन के महीने में हर मंगलवार को सनातन धर्म को मानने वाली महिलाएं मंगला गौरी का व्रत रखती हैं। मंगला गौरी के व्रत के दिन मां गौरी पार्वती की पूजा की जाती है। अखंड सौभाग्य की कामना के लिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं।

 मंगला गौरी व्रत,  शुभ मुहूर्त

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सावन माह में पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन स्थापित रीति-रिवाज के अनुसार माता महागौरी की पूजा की जाती है। 4 जुलाई को पूजा का शुभ समय सुबह 8:57 बजे से दोपहर 2:10 बजे तक है।

पूजा की विधि जाने

मंगला गौरी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए उसके बाद  साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए और ध्यान करना चाहिए। माता गौरी की प्रतिमा को चौकी पर  एक साफ़ कपडे पर रखें। व्रत का संकल्प लें. आटे का दीपक जलाएं. फिर फल-फूल, धूप आदि से माता गौरी की पुरे मन से पूजा करें।

मंगला गौरी व्रत का क्या है महत्व

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि मंगला गौरी का व्रत विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां दोनों रख सकती  हैं। इस दिन व्रत करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है और विवाह संबंधी सभी मुश्किलें दूर हो जाती हैं। इस दिन महागौरी की विधि-विधान के साथ पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in