
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: बीते शुक्रवार 29 सितंबर से पितृपक्ष का समय शुरू हो गया है । यह 16 दिनों तक चलेगा । यह पितृ खासकर पूर्वजों के लिए कर्ज को चुकाने का समय होता है। पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोजन तर्पण और दान किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृ अपने परिवार की रक्षा कवच की तरह होते हैं। वह हमेशा अपने परिवार अपनी पीढ़ियों के बारे में ही सोचते हैं। उनकी समय-समय पर सहायता करते हैं। एक अवधारणा यह भी एक ही ईश्वर पूरे सृष्टि के संचालक होते हैं। और सभी को देखते हैं। किंतु पितृ केवल अपने ही परिवार को ही देखते हैं।
जिस घर में पितरों की पूजा होती है। अर्थात अपने मृतक पूर्वजों का स्मरण किया जाता है। उनके निमित्त भोजन वस्त्र आदि का दान करते हैं। तो उस घर में पितृ की कृपा बनी रहती है। पितृ पक्ष में किसी योग्य विद्वान ,ब्राह्मण को भोजन पर आमंत्रित करें और अपने पितरों की रुचि का भोजन बनाकर उन्हें श्रद्धा से खिलाएं। इसके साथ-साथ अपने पितरों के नाम से उनकी मृत्यु तिथि या श्रद्धा के दिन अपनी इच्छाओं में समर्थ के अनुसार भोजन कराएं। ब्राह्मण को भोजन कराते समय पत्तल का प्रयोग अथवा तांबे ,पीतल ,कांसे,चांदी आदि के बर्तन में भोजन कराना चाहिए । क्योंकि पितरों को लोहे के अर्थात स्टील के बर्तनों में खाना खिलाना शुभ नहीं माना जाता है।
पितरों के बनाए गए भोजन में उड़द ,मसूर ,अरहर, चना लौकी, बैंगन, हींग प्याज लहसुन काला नमक अलसी का तेल पीली सरसों का तेल मांसाहारी प्रयोग भोजन को वर्जित माना गया है। श्राद्ध कर्म में पितरों के नाम बनाए जाने वाले भोजन में खीर का विशेष महत्व माना गया जाता है । इस दिन पूरी, आलू की सब्जी , छोले, और कद्दू की सब्जी बना सकते हैं। इसके अलावा मिठाई भी भी पितरों के भोजन में शामिल करें।
श्राद्ध के दिन लहसुन प्याज सहित सात्विक भोजन ही घर की किचन में बनना चाहिए। इसमें आप कई तरह के पकवान बना सकते हैं। लेकिन सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस बर्तन में भी आप भोजन बना रहे हो बिल्कुल शुद्ध हो उसमें किसी प्रकार की गंदगी ना हो । श्राद्ध का खाना बनाते समय चप्पल पहनने से बचना चाहिए। लकड़ी के चप्पल आप पहन सकती हैं क्योंकि लकड़ी को शुद्ध माना जाता है l। आप चमड़े के जूते व चप्पल बिल्कुल न पहनें । इससे पितरों में गलत प्रभाव पड़ता है और वह आशीर्वाद देने की बजाय रूठ जाते हैं।