Chhath Pooja 2023: छठ पूजा कब है, जानिए सही तिथि, और नहाय, खाय, खरना का सही समय वा छठ कथा 

छठ पूजा महापर्व शुरू होने में महज कुछ ही दिनों का समय बचा है। चार दिवसीय छठ पर्व बिहार से लेकर झारखंड और  पूर्वांचल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पूजा कब है और जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
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नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: उत्तर भारत का लोकप्रिय पर्व छठ पूजा हिंदुओं के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।  दिवाली के कुछ दिनों बाद मनाया जाने वाला पर्व प्रमुख तौर पर बिहार और पूर्वांचल में सबसे ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है।  छठ पूजा पर्व में सूर्य भगवान और छठी माता की पूजा की जाती है।  सती पूजा में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत भी रखती हैं।  इस दौरान महिलाएं पानी तक नहीं पीती।  इसलिए छठ व्रत बहुत कठिन भी माना जाता है। इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। 

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कब है छठ पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि के साथ छठ पूजा का आरंभ हो जाता है।  इसलिए इस साल 18 नवंबर शनिवार को सुबह 9:18 से आरंभ हो रही है जो 19 नवंबर रविवार को सुबह 7:23 तक समाप्त हो रही है। उदयातिथि के आधार पर छठ पूजा 19 नवंबर को है। इस दिन शाम के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

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कब है नहाय खाय

छठ पूजा के पहले दिन को नहाए- खाए कहा जाता है।  इस साल नहाय खाए 17 नवंबर को है।  इस दिन सूर्योदय 6:45 पर हो रहा है।  इसके साथ ही सूर्यास्त शाम को 5:27 पर हो रहा है। इस दिन व्रत वाली महिलाएं नदी सरोवर ,तालाब में स्नान करती है।  इसके साथ ही दिन के समय पर भोजन करती हैं।

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कब है खरना

छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है। इस दिन भोग तैयार किया जाता है। इस दिन शाम के समय मीठा भात और लौकी की खिचड़ी खाई जाती है।  

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Raftaar.inछठ पूजा का मुख्य प्रसाद

छठ पूजा का मुख्य प्रसाद केला और नारियल होता है।  इस पर्व का महा प्रसाद ठेकुआ को भी कहा जाता है। यह ठेकुआ आटा,  गुड और शुद्ध घी से बनाया जाता है। जो की काफी प्रसिद्ध होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा को बहुत ही कठिन पर्व माना जाता है। इस पर्व में महिलाएं तीन दिनों तक निर्जला व्रत उपवास रखती है। छठ पूजा में माता छठ और भगवान सूर्य की उपासना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार जो भी जातक पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना करती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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छठ पूजा की संध्या अर्ध की तिथि का समय

मुख्य  छठ पूजा के तीसरे दिन यानी कार्तिक शुक्ल की छठी तिथि को की जाती है। जो लोग व्रत रखते हैं। वह इस दिन किसी नदी , तालाब और जलाशय पर पूजा करते हैं।।इसके बाद वो  डूबते सूर्य को अर्घ्य देते है।  इस वर्ष छठ पूजा का संध्या अर्घ्य  19 नवंबर को दिया जाएगा । 19 नवंबर को शाम 5:26 बजे सूर्यास्त होगा। ये सूर्य को  अर्घ्य देने का  उत्तम और समय है।

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छठ पूजा की सुबह का आरती तिथि को समय

पूजा के चौथे और आखिरी दिन उगते और सूर्य को अर्घ्य  देकर पूजा  की जाती है।  कार्तिक शुक्ल सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य  देने की परंपरा है। 20 नवंबर को उगते सूर्य को  देने का सही समय 6:10 बजे है। 

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छठ पूजा का विशेष महत्व

छठ पूजा करने से परिवार में धन-धान्य पति पुत्र और सुख समृद्धि से परिपूर्ण तथा संतुष्टि रहती है। छठ व्रत को करने से चर्म रोग तथा आंख की बीमारी से छुटकारा मिलता है।  यह सबसे कठिन व्रत में से एक व्रत है।  36 घंटों तक इस व्रत को रखा जाता है लेकिन 24 घंटे से अधिक के समय तक निर्जला उपवास कर रखते हैं। छठे व्रत की  शुरुआत कार्तिक मास के चौथ तिथि से आरंभ होकर सप्तमी के दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य देकर समाप्त हो जाता है। 

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छठ पूजा से जुड़ी कथा

मान्यताओं के अनुसार छठ देवी सूर्य देव की बहन है।  उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है।  व्रत करने वाले मां गंगा और यमुना या किसी नदी या फिर जलाशयों के  किनारे आराधना करते हैं। इस पर्व में स्वच्छता और स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाता है।  वहीं पुराने में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यानी देवी को भी छठ माता के रूप में माना जाता है। छठ मैया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा  माना जाता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगल कामना के लिए रखा जाता है।

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