सौरि व्रत विधि- Souri Pratipada Vrat Vidhi in Hindi

सौरि व्रत विधि- Souri Pratipada Vrat Vidhi in Hindi
सौरि व्रत विधि- Souri Pratipada Vrat Vidhi in Hindi

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सौरि व्रत रखा जाता है। नारद पुराण के अनुसार इस दिन ही ब्रह्माजी ने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की थी। इसलिए अमावस्या के बाद जो प्रतिपदा तिथि प्राप्त होती है, उस दिन किए गए व्रत को सौरि व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है।

सौरि व्रत विधि (Souri Vrat Vidhi in Hindi)

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रातः स्नान कर अग्निरुपधारी भगवान ब्रह्मा की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद विभिन्न देवताओं की अलग -अलग पूजा करनी चाहिए। इस प्रकार पूजा के साथ ऊँकारपूर्वक नमस्कार करना चाहिए। व्रत पूर्ति के लिए कुश, जल, अक्षत के साथ सोना और वस्त्र दक्षिणा के साथ ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

सौरि व्रत फल (Benefits of Souri Vrat in Hindi)

सौरि व्रत को बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। इस व्रत की महिमा से व्रती के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उसे सुख और शान्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा इस व्रत को करने से व्यक्ति को दीर्घ आयु, धन, सौभाग्य के साथ- साथ इहलोक और परलोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं।

Related Stories

No stories found.
Raftaar | रफ्तार
raftaar.in