शुभाशुभ- निदर्शन व्रत विधि - Shubha Ashubh Nidarshan Vrat Vidhi
शुभाशुभ- निदर्शन व्रत विधि - Shubha Ashubh Nidarshan Vrat Vidhi

शुभाशुभ- निदर्शन व्रत विधि - Shubha Ashubh Nidarshan Vrat Vidhi

शुभाशुभ- निदर्शन व्रत आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को रखा जाता है। शुभाशुभ- निदर्शन में विशेष रूप से लोकपाल तथा भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह व्रत सौभाग्य फलदायी माना जाता है।

शुभाशुभ- निदर्शन व्रत विधि (Shubha Ashubh Nidarshan Vrat Vidhi in Hindi)

नारद पुराण के अनुसार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सर्वव्यापी वायु की परीक्षा लेने के लिए घर से बाहर जाना चाहिए। घर के पास खुले स्थान पर बांस गाड़ कर उस पर एक पताका लगाना चाहिए। इसके पश्चात इस बांस के चारों दिशाओं में लोकपालों की स्थापना करके उनकी पूजा करनी चाहिए।

सभी दिशाओं से चल रही वायु की पूजा के बाद घर जाकर जमीन पर सो जाना चाहिए। इस दिन रात में देखा गया सपना जरूर सच होता है। यदि सपना अशुभ हो तो अगले दिन उठकर पूरी श्रद्धाभाव से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए तथा आठ पहर तक उपवास रखकर 8 ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए।

शुभाशुभ- निदर्शन व्रत फल (Benefits of Shubha Ashubh Nidarshan Vrat in Hindi)

अशुभ सपने के बाद की गई शिव जी की आराधना से इसकी संभावना समाप्त हो जाती है तथा सब मंगलमय होता है। शुभाशुभ- निदर्शन व्रत को श्रद्धापूर्वक रखने से मनुष्य को संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा वह मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक को जाता है।

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