Maharana Pratap Jayanti 2022:आज हम बात कर रहे हैं वीरों की भूमि में जन्मे राजस्थान के सोलहवीं सदी के महान हिंदू राजा महाराणा प्रताप की, जिन्होंने युद्ध के मैदान में कई बार मुगल शासक अकबर से लड़ाई लड़ी। महाराणा प्रताप का जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था। लेकिन राजस्थान के राजपूत समाज का एक बड़ा हिस्सा महाराणा प्रताप का जन्मदिन पंचांग के अनुसार मनाता है, क्योंकि वर्ष 1540, 9 मई को ज्येष्ठ शुक्ल की तृतीया तिथि थी। इसी के अनुसार वर्ष 2022 में महाराणा प्रताप की 482वीं जयंती 2 जून 2022 गुरुवार को मनाई जाएगी।
आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में, जिन्हें जानने की हर भारतीय के मन में इच्छा होती है।
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ई. को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था, उन्होंने अपनी मां से युद्ध कौशल की कला सीखी थी।
देश के इतिहास में दर्ज हल्दीघाटी का युद्ध आज भी लोगों डरा पढ़ा जाता है। राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के बीच लड़ा गया यह युद्ध बहुत विनाशकारी था।
हल्दीघाटी का युद्ध मुगल सम्राट अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून 1576 ई. में हुआ था।
न तो हल्दीघाटी का युद्ध अकबर ने जीता और न ही महाराणा की हार हुई। मुगलों के पास बड़ी सेना थी, इसलिए राणा प्रताप के पास वीरों की कोई कमी नहीं थी।
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास केवल 20 हजार और अकबर के पास 85 हजार सैनिक थे। इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हिम्मत से लड़ाई लड़ी और आजादी के लिए संघर्ष किया।
राजा महाराणा प्रताप के भाले का वजन कुल 81 किलो था, साथ ही उनके सीने का कवच 72 किलो का था। उनके हथियारों का वजन 208 किलो था, साथ ही उनके पास एक भाला, कवच, ढाल और दो तलवारें थीं।
इतिहासकारों की मानें तो अकबर ने महाराणा प्रताप के पास सुलह के लिए 6 दूत भेजे थे, लेकिन महाराणा प्रताप ने हर बार उनके प्रस्ताव को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि राजपूत योद्धा कभी किसी के सामने घुटने नहीं टेकते थे।
चेतक महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा था, उन्हीं की तरह उनका घोड़ा चेतक भी बहुत बहादुर था। हल्दीघाटी की लड़ाई के दौरान गंभीर चोटों के कारण चेतक की मृत्यु हो गई थी।
हल्दी घाटी में आज भी चेतक का मकबरा बना हुआ है।
महाराणा प्रताप जयंती अनुष्ठान राजस्थान राज्य में प्रमुख रूप से देखे जा सकते हैं। हरियाणा और हिमाचल प्रदेश अपने महाराणा प्रताप जयंती समारोह के लिए भी प्रसिद्ध हैं। राजस्थान के मेवाड़ जिले में और उसके आसपास व्यापक महाराणा प्रताप जयंती समारोह और उत्सव देखे जा सकते हैं।
चूंकि महाराणा प्रताप जयंती गर्मी के मौसम में आती है, अधिकांश कॉलेजों और स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां होती हैं, और हर कोई शहर से बाहर निकलना पसंद करता है, और इसलिए राजस्थान में किसी भी अन्य मौसम की तुलना में अधिक आगंतुक आते हैं। कुछ लोग महाराणा प्रताप की बहादुरी को याद करने के लिए उनकी मूर्तियों या पोस्टरों को घर लाना भी पसंद करते हैं। लोग पारंपरिक कपड़े पहनते हैं, दीया, मोमबत्तियां, फूल, मिठाई जैसे अनुष्ठानों के लिए अपना प्रसाद इकट्ठा करते हैं और देशभक्ति के गीतों पर नृत्य करते हैं और गाते हैं। यह त्यौहार पूरे राजस्थान में मनाया जाता है। आप राजधानी जयपुर जाने पर भी विचार कर सकते हैं, वहां इससे भी बड़ा उत्सव देख सकते हैं।