
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है। इस त्यौहार को भैया दूज भाई को टीका लगाती है। जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज के दिन भाई को तिलक लगाने का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन बहन रोली और अक्षत के साथ भाई की स्तुति करती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह प्रथा सदियों पुरानी है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से पूजा की जाए तो जीवन भर यम का भय नहीं रहता। इस साल भाई दूजे की सही तारीखों को लेकर लोगों में कंफ्यूजन बना हुआ है। कोई 14 नवंबर को तो कोई 15 नवंबर को भाई दूज मनाने की बात कर रहा है। ऐसे में सही तिथि क्या है आईए जानते हैं। साथ ही शुभ मुहूर्त क्या है।
पंचांग के मुताबिक इस साल भाई दूज की सही तिथि 14 नवंबर को है। जिसका शुभ मुहूर्त दोपहर 2:36 से शुरू होगा और वहीं 15 नवंबर को दोपहर 1:45 पर समाप्त होगा। ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक 15 नवंबर को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजे से लेकर 11 बजे बजे तक रहेगा । हालांकि 14 नवंबर को 12 बजे के बाद भाई को तिलक लगाया जा सकता है।
भाई दूज में पूजा के लिए एक गोल थाली की जरूरत होती है। जिसमें छोटा दिया, रोली टीका, थोड़ा चावल नारियल, बताशा ,मिठाई और पांच पान के पत्ते जरूर होने चाहिए। इसके बाद बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती है और उसकी रक्षा और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। बदले में भाई उसे उपहार देता है। और उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
हिंदू धर्म के बाकी त्योहारों की तरह भाई दूज के त्योहार से कई कहानीयां जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के देवता यमराज की बहन यमुना चाहती थी कि उनका भाई उनके घर में आकर उनसे मिले। लेकिन यमराज उनसे मिलने घर नहीं आ पाए थे। जब यमराज आखिरकार उनसे मिलने गए तो यमुना ने अपने भाई के लिए बड़ा स्वागत सत्कार किया। उन्होंने भाई के आने की खुशी में मिठाई बांटी और भाई का टीका किया। इन सब से यमराज खूब प्रसन्न हुए यमराज ने यमुना के लिए एक वरदान मांगने का कहा । इस पर यमुना ने कहा कि साल के एक ऐसा दिन भी आए कि हर भाई अपनी बहन को एक दिन दें। जिससे बाद से भाई दूज का त्योहार मनाया जाने लगा।