
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: हिंदू धर्म में भाद्रपद मानस के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बेहद खास होती है। पिछले कई वर्षों से जन्माष्टमी का त्यौहार दो दिन तक मनाया जाता रहा है। इन दो दिनों में एक दिन जन्माष्टमी गृहस्थ जीवन वाले मानते हैं। तो दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय वाले मानते हैं। आपको बता दे इस साल जन्माष्टमी 6 और 7 सितंबर को मनाई जाएगी। 6 सितंबर को भगवान श्री कृष्ण का 5250 वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है की जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषिवेदों का कहना है कि इस बार गृहस्थ जीवन वाले जन्माष्टमी का त्योहार 6 सितंबर को मनाएंगे। जन्माष्टमी की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त 6 सितंबर को 11 बजकर 56 मिनट से देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं 7 सितंबर को जन्माष्टमी सुबह 10 बजे से शाम 4 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
जन्माष्टमी की मूर्ति
जन्माष्टमी के दिन समानतया बालकृष्ण की पूजा की जाती है। इस लिहाज से आप बाजार से बालकृष्ण की छोटी सी मूर्ति स्थापित कर सकते हैं। इसके अलावा आप चाहे तो राधा कृष्ण की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं।
जन्माष्टमी पूजा सामग्री
जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्णा की पूजा विधि से पहले पूजा सामग्री पर विशेष ध्यान देना होता है। इसलिए आपको बताते हैं की किन-किन चीजों की आवश्यकता होगी।
* कृष्ण जी की मूर्ति, झूला, सिंहासन ,मोर पंख, बांसुरी गाय की प्रतिमा और वैजयंती माला आदि की जरूरत होगी।
* इसके अलावा लाल कपड़ा, तुलसी के पत्ते ,आभूषण मोर मुकुट , खीरा और रोली चंदन।
* कुमकुम ,अभ्रक, हल्दी, अक्षत ,आभूषण, मौली ,रूई तुलसी की माला और अबीर।
* गुलाल ,इत्र, दीपक, धूप, फल, पीले वस्त्र, खड़ा धनिया पंजीरी ,मक्खन ,मिश्री, मिठाई ,इलायची, लौंग ,कपूर धूपबत्ती, नारियल, केसर ,अभिषेक के लिए तांबे या चांदी का पत्र , फूल और केले पत्ते की जरूरत होगी।
पूजा विधि
* कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन होता है
* इस दिन सुबह स्नान करने के बाद सभी देवताओं को नमस्कार करके व्रत का संकल्प लें
* फिर मध्यान के समय काले तिलों को जल में छिड़क कर देवकी जी के लिए प्रस्तुति ग्रह बनाएं
* अब इस सूती का ग्रह में सुंदर बिछौना बेचकर उसे पर शुभ कलर्स स्थापित करें
* इस दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ माता देव की जी की भी मूर्ति स्थापित करें
* देवकी, वासुदेव, बलदेव ,नंद ,यशोदा और लक्ष्मी जी इन सब का नाम लेते हुए पूजन करें।
* याद रखें व्रत रात 12:00 बजे पूजा करने के बाद ही खोला जाएगा।
* व्रत में अनाज का सेवन बिलकुल भी ना करें । फलहार में कद्दू के आटे की पकौड़ी मेरे बर्फी अधिका सेवन कर सकते हैं।
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