
नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: हिंदू धर्म में छठ पूजा महिलाओ के पवित्र त्योहारों में से एक माना जाता है। यह त्यौहार सूर्य देव और सती माता को समर्पित है। छठ मैया को संतान की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। दिवाली के त्यौहार के छठवें दिन छठ की पूजा शुरू हो जाती है। यह पर्व 4 दिन तक चलता है। इस बार महाछठ पर्व 17 नवंबर 2023 से लेकर 20 नवंबर 2023 तक चलेगा। आपको बता दें कि यह पर्व मुख्यता बिहार ,उत्तर प्रदेश और झारखंड में मनाया जाता है। महिलाएं इस व्रत में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। उनके लिए यह सबसे कठिन व्रत में से एक माना जाता है। इस व्रत में कई नियम ऐसे होते हैं। जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है। ऐसे में आपकी एक गलती आप पर भारी पड़ सकती है और छठी मैया नाराज हो सकती हैं। जिससे व्रत का फल नही मिल पाता। तो चलिए जानते हैं। व्रत के दौरान महिलाओं को कौन सी गलती करने से बचना चाहिए।
छठ पूजा में पवित्रता यानी साफ सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में अगर आप भी छठ का व्रत रखने जा रहे हैं तो इस चीज का विशेष ध्यान रखें। कि छठ पूजा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों को झूठे ना हो हाथों में गंदगी ना हो। पूजा सामग्री के बर्तन साफ हो।बच्चों पूजा स्थान और पूजा सामग्री से दूर रखें। पूजा की चीजों को छूते समय अपने हाथों को साफ करें और अन्य चीज छूने के बाद छठ का सामान न छुएं।
छठ का व्रत करने वाली महिलाओं को पलंग और गद्दा पर नहीं सोना चाहिए । छठ पूजा के चारों दिन महिलाओं को जमीन पर आसान बिछाकर सोना चाहिए। इससे व्रत करने वालों की साधना पूरी होती है।
कई बार महिलाएं शुद्ध प्रसाद तो बनाती है लेकिन वह सोचती है कि यह अच्छा बना है या खराब बना है। इसलिए वह जाने अनजाने उसे चख लेती है तो उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए। छठ का पूजा प्रसाद बेहद पवित्र होता है। इसे बनाते समय भूल कर भी इसे झूठ ना करें साथ ही इसे बनाने से पहले कुछ भी ना खाएं अपने हाथों को भी अच्छी तरह साफ रखें और प्रसाद बनाने के लिए एकदम स्वच्छ जगह को चुने। इस दौरान व्रत रख रही महिलाओं महिलाएं सूर्य को अर्घ्य दिए बिना किसी भी चीज का सेवन न करें l
छठ पर्व के शुभ दिनों में भूलकर भी आप मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें। इसके साथ ही आप लहसुन और प्याज का सेवन से दूरी बनाए। कोशिश करें की पूरे घर में किसी भी व्यक्ति को लहसुन प्याज और मांस जैसी चीजों की इजाजत ना दें।
छठ पूजा में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। साथ ही पूरे विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है। इस दौरान भूलकर भी चांदी स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ये अशुभ माना जाता है। इस पूजा में सिर्फ मिट्टी के चूल्हे और बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। वही शुभ माने जाते हैं।