Eid-ul-Adha 2023: जानिए कब मनाई जाएगी बकरीद? क्या है इसका धार्मिक महत्व

Eid-ul-Adha 2023: इस साल 19 जून को देश के कुछ हिस्सों में चांद का दीदार हुआ. इसीलिए बकरीद चांद निकलने के दसवें दिन यानी कि 29 जून को मनाया जाएगा।
Eid-ul-Adha 2023
Eid-ul-Adha 2023

नई दिल्ली, रफ्तार डेस्क। Eid-ul-Adha 2023: भारत विभिन्न धर्मों वाला देश है। यहां पर सब धर्म का सम्मान होता है। भारत में जितनी उत्साह के साथ दिवाली मनाई जाती है, उतनी ही उत्साह के साथ ईद का त्योहार भी मनाया जाता है। इस्लाम धर्म में बकरीद का विशेष महत्व है। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा के दसवें दिन मनाई जाती है। इस तरह से इस बार ये त्योहार 29 जून 2023 को मनाया जाएगा।

29 जून को मनाया जाएगा ईद

इस साल 19 जून को देश के कुछ हिस्सों में चांद का दीदार हुआ, इसीलिए बकरीद चांद निकलने के दसवें दिन यानी कि 29 जून को मनाया जाएगा। ईद-उल-अजहा का मतलब है कुर्बानी का त्योहार, ये इस्लाम धर्म में दूसरा प्रमुख पर्व है। बकरीद इस्लाम धर्म में दूसरा प्रमुख पर्व है। धार्मिक विद्वानों के मुताबिक, बकरीद रमजान महीने के खत्म होने के 70 दिन बाद मनाई जाती है। इस अवसर पर बकरे की कुर्बानी देने का विधान है। आइए जानते हैं इस त्योहार का धार्मिक महत्व क्या है।

बकरीद का इतिहास

इस्लाम धर्म में बकरीद का विशेष महत्व है। इस्लाम विशेषज्ञों का कहना है कि पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपना जीवन खुदा को समर्पित कर दिया था। वे हमेशा हर रोज खुदा की इबादत में लगे रहते थे। खुदा इब्राहिम अलैहिस्सलाम की इबादत से बहुत खुश हुए। एक दिन ऐसा हुआ की खुदा खुद ही इब्राहिम अलैहिस्सलाम का इम्तिहान लेने के लिए आए। खुदा ने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम से उनकी सबके प्रिय चीज की कुर्बानी मांग ली।

कैसे शुरू हुआ कुर्बानी का चलन

जब अल्लाह की तरफ से इब्राहिम अलैहिस्सलाम से उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी मांगी तो उन्होंने अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने का फैसला कर लिया, इसके बाद इस्माइल बिना किसी एतराज के अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। इसके बाद जब उनके पिता इब्राहिम अलैहिस्सलाम उनकी कुर्बानी करने लगे तो अल्लाह ने कर्बानी करने वाली छुरी को फरमान दिया था कि वो इस्माइल की गर्दन पर न चले, और इसके बदले दुम्बा बकरा आ गया था जिसके बाद उस बकरे की कुर्बानी की गई। इसके बाद से ही इस्लाम में कुर्बानी का चलन शुरू हुआ।

ईद-उल-अजहा का महत्व

यह इस्लामिक कैलेंडर का आखिरी महीना है। फिर नया साल शुरू होता है। इस दिन बकरे की बलि दी जाती है। इसमें कुछ हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों को दे दिया जाता है। दूसरा भाग गरीबों और जरूरतमंदों को दान कर दिया जाता है। तीसरा और आखिरी हिस्सा परिवार के लिए रखा जाता है। बकरीद त्योहार के दौरान देश-दुनिया में जश्न का माहौल रहता है।

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