
रफ्तार डेस्क,नई दिल्ली : दिवाली का पर्व भारत के सबसे बड़े त्योहार में से एक माना जाता है। इस दिन लोग अपने घरों में दीप जलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब श्री राम अहंकारी रावण का वध करके पहली बार अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या के एक एक घर में गांव के लोगों ने घी के दीपक जलाए थे। तभी से दीपावली का पावन पर्व मनाया जा रहा है। आपको बता दें कि इस दिन गणेश - लक्ष्मी की पूजा की जाती है। अगर गणेश - लक्ष्मी जी के मंदिरों की बात की जाए तो ऐसे कम ही मंदिर होंगे। जहां एक साथ गणेश लक्ष्मी की पूजा होती है। आज हम आपको को इस आर्टिकल में गणेश - लक्ष्मी के पांच ऐसे मंदिरों के बारे में बताएंगे. जहां आप दीपावली के शुभ अवसर पर जाकर दर्शन के साथ आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
तमिलनाडु के वेल्लोर स्थित महालक्ष्मी मंदिर को दक्षिण भारत के स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर काफी फेमस है। यह मंदिर 100 एकड़ में फैला हुआ है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में ही पूरा सोना जड़ दिया गया था। लगभग इसमें 15000 किलोग्राम शुद्ध सोने का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर का नजारा रात को देखने लायक होता है। जब जगमगाती रौशनी से यह मंदिर चमकता है। जब भी टूरिस्ट तमिलनाडु घूमने आते हैं तो इस मंदिर का नजारा जरूर लेते हैं। इतना ही नहीं दीपावली के अवसर पर देश के कोने कोने से भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते है।
इंदौर के महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण मल्हारराव होलकर द्वारा साल 1832 में किया गया था। महालक्ष्मी देवी मंदिर को होलकर रियासत की श्रद्धा के प्रति के तौर पर भी देखा जाता है। यहां हर साल दीपावली के पावन पर्व पर श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं।
आप दिवाली के दिन मुंबई स्थित महालक्ष्मी मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर सकते हैं। इस मंदिर की गिनती शहर की पुराने मंदिरों में की जाती है। इस मंदिर में महालक्ष्मी के साथ महाकाली , मां सरस्वती माता की प्रतिमा भी विराजमान है। जिसे देखने के लिए भक्त भारी संख्या में पहुंचते है।
दिल्ली का लक्ष्मी नारायण मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर दिल्ली के गोल मार्केट के पास स्थित है। इस मंदिर में मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर में जन्माष्टमी और दिवाली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1622 में वीर सिंह देव ने किया था।
इंदौर में स्थित मशहूर खजराना गणेश मंदिर का निर्माण सन 1735 में महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां श्रद्धालु जो भी मनोकामना लेकर आते हैं। वह जरूर पूरी होती है। इस मंदिर पर हर साल दिवाली के अवसर पर भक्तगण भारी संख्या में आते हैं। जहां से वो गणेश भगवान की कृपा से खाली हाथ नहीं लौटते।