नई दिल्ली,रफ्तार डेस्क। Devshayani Ekadashi 2023: सनातन धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान 4 महीने के लिए विश्राम करने चले जाते हैं। देवशयनी एकादशी हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। इस दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु और धन की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साधक अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी एकादशी का व्रत रखते हैं।
29 जून को रखा जाएगा व्रत
सनातन धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि जगत के पालनहार देवशयनी के दिन से क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। इसी तिथि से चातुर्मास आरंभ होता है। धार्मिक मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से साधक को सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है। इससे आय और आयु में वृद्धि होती है। एकादशी के दिन पूजा-पाठ, जप-तप के अलावा दान करने का भी विधान है। इस बार देवशयनी एकादशी का व्रत 29 जून 2023, को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी तिथि 29 जून को सुबह 3:18 बजे शुरू होकर अगले दिन 30 जून को दोपहर 2:42 बजे तक रहेगी।
पूजा विधि
एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा इस दिन की पूजा में तुलसी का प्रयोग करना चाहिए। तुलसी यज्ञ के बिना भगवान विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है, इसलिए देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। फिर साफ़ कपड़े पहन लें। फिर भगवान विष्णु को फूल, चंदन, अक्षत अर्पित करें।
देवशयनी एकादशी का महत्व
देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। देवशयनी एकादशी भगवान विष्णु का विश्राम काल है, इस दिन से लेकर चार माह तक भगवान विष्णु शयन करते हैं। इसी दिन चतुर्मास की भी शुरुआत होती है।