
नई दिल्ली , 24 सितम्बर 2023 : छठ हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो सूर्य देव और उनकी पत्नी छठी मैया की पूजा करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक चार दिनों तक मनाया जाता है।
छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा सूर्य देव की पूजा है। सूर्य देव को ऊर्जा, जीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। छठ पूजा के दौरान, भक्त सूर्य देव से अपने आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
छठ पूजा के दौरान, भक्त सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जो कि जल, दूध, शहद और गंगाजल का मिश्रण है। अर्घ्य देने के लिए भक्त नदी या तालाब के किनारे जाते हैं और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय अर्घ्य अर्पित करते हैं।
छठ पूजा के दौरान, भक्त उपवास भी रखते हैं। यह उपवास सूर्य देव के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। उपवास के दौरान भक्त केवल फल और पानी ग्रहण करते हैं।
छठ पूजा के अंतिम दिन भक्त भगवान सूर्य और छठी मैया के नाम पर प्रसाद चढ़ाते हैं। प्रसाद के रूप में भक्त ठेकुआ, खरना, चावल और गुड़ चढ़ाते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने की महत्ता को सिखाता है। सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करके भक्त प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो सूर्य देव और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हमें यह सिखाता है कि प्रकृति के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। छठ पूजा के दौरान भक्त सूर्य देव से उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो समाज को एकजुट करता है। इस त्योहार में सभी जातियों, धर्मों और वर्गों के लोग भाग लेते हैं। छठ पूजा के दौरान भक्त एक साथ प्रसाद बनाते हैं, अर्घ्य देते हैं और भजन गाते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो हमें पर्यावरण संरक्षण के बारे में भी सिखाता है। छठ पूजा के दौरान भक्त नदी और तालाबों को साफ करते हैं और प्रदूषण से बचाने का प्रयास करते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो हमें अहिंसा और शांति का संदेश देता है।
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