
नई दिल्ली , 13 अगस्त, रफ़्तार डेस्क - प्राचीन भारतीय संस्कृति में सूर्य देव को दिव्यता का प्रतीक माना गया है। सूर्य भगवान को सृष्टि का निर्माता, जीवन का स्रोत और आदर्श माना जाता है। सूर्य देव के पूजन का दिन रविवार होता है और उनकी महिमा को स्तुति करने के लिए विशेष मन्त्र अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
सूर्य देव की पूजा का आदर्श प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। वेदों में भी सूर्य को भगवान के रूप में स्वीकार किया गया है। सूर्य देव की पूजा से मनुष्य के जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य और धन की वर्षा होती है।
सूर्य देव के पूजन का दिन रविवार होता है, जिसे सूर्यवार या रविवार के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में उज्जवलता और सफलता की किरनें आती हैं। सूर्यवार को सूर्यास्त और सूर्योदय के समय पर विशेष ध्यान केंद्रित करने से आत्मा को शांति और सुकून मिलता है।
सूर्य देव के मन्त्र भगवान की पूजा में विशेष महत्व रखते हैं। "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" यह मन्त्र सूर्य देव की पूजा के लिए अत्यंत श्रेष्ठ माना जाता है। इस मन्त्र का जाप करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है।
सूर्य देव की पूजा और मन्त्रों का अभ्यास करने से व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। सूर्य का प्रकाश मानवता के जीवन में नई ऊर्जा और प्रेरणा का स्रोत होता है, और उनकी पूजा से हम उनके आदर्शों का अनुसरण करके उद्देश्यपूर्ण और सफल जीवन जी सकते हैं।
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