
नई दिल्ली , 02 अक्टूबर 2023 : भारतीय सांस्कृतिक कैलेंडर में हर दिन को विशेष महत्व दिया गया है, और व्रत एक माध्यम है जिससे विशेष दिनों पर ईश्वर की आराधना की जाती है। "16 सोमवारी व्रत" एक ऐसा व्रत है जिसमें व्रती 16 सोमवारों तक लगातार सोमवार के दिन विशेष पूजा करता है। यहां हम जानेंगे कि इस व्रत की पूजा विधि और इसका महत्व क्या है।
1. पूजा विधि:
व्रत की शुरुआत शिवजी की पूजा से होती है। सोमवार के दिन ब्राह्मणों और गुरुजनों को बुलाकर शिवलिंग पूजा की जाती है।
शिवलिंग को गंगाजल और धातुरा के पत्तों से सजाकर, दूध, बेलपत्र, धूप, दीप, फल, फूल, अक्षत, चन्दन, रोली, बीलपत्र, मिश्री, एक पत्नी के साथ तुलसी का पौध, शंख, कंघी, नंदी, चाँदी की माला, कुंकुम, वस्त्र, बर्फ, बन्दूक और पैसे से शिवलिंग की पूजा की जाती है।
इसके बाद पूजारी या ब्राह्मण से व्रती को कुंडली के अनुसार व्रत की विधि और महत्व की बताई जाती है।
2. महत्व:
16 सोमवारी व्रत का पालन करने से मान्यता होती है कि व्रती को शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
इस व्रत से विशेष रूप से उन व्यक्तियों को लाभ होता है जिनकी कुंडली में चन्द्रमा के अनुकूल स्थिति नहीं है।
सोमवार को शिवजी का दिन माना जाता है और इस दिन उन्हें प्रसन्न करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे धन, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।
3. सावधानियां:
इस व्रत में व्रती को किसी भी विशेष आहार का अनुसरण करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सत्य, ईमानदारी, और शिवभक्ति में विश्वास रखना चाहिए।
व्रत के दौरान नींदा, क्रोध, आलस्य, और कामना से बचना चाहिए।
सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा के बाद, व्रती को उद्यान के पूजा स्थल पर बैठकर शिवजी की चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
16 सोमवारी व्रत महादेव की कृपा को प्राप्त करने का एक सुंदर और अनूठा तरीका है। यह व्रत भक्ति और आस्था में वृद्धि करता है और व्रती को जीवन में सुख, संपत्ति, और समृद्धि का अनुभव होता है।
अन्य ख़बरों के लिए क्लिक करें - www.raftaar.in
डिसक्लेमर
इस लेख में प्रस्तुत किया गया अंश किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की पूरी सटीकता या विश्वसनीयता की पुष्टि नहीं करता। यह जानकारियां विभिन्न स्रोतों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/प्रामाणिकताओं/धार्मिक प्रतिष्ठानों/धर्मग्रंथों से संग्रहित की गई हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य सिर्फ सूचना प्रस्तुत करना है, और उपयोगकर्ता को इसे सूचना के रूप में ही समझना चाहिए। इसके अतिरिक्त, इसका कोई भी उपयोग करने की जिम्मेदारी सिर्फ उपयोगकर्ता की होगी।